loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 933

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 933

बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।स्थापना।।

ले आया जल की गगरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।जलं।।

लाया रस जश मलय गिरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।चन्दनं।।

लाया धाँ शालिक गठरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।अक्षतं।।

लाया पुष्प पिटार भरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।पुष्पं।।

लाया चरु घृत अठ-पहरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।नैवेद्यं।।

लाया ज्योत अखण्ड निरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।दीपं।।

लाया धूप गंध विरली
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।धूपं।।

लाया फल ऋत-ऋत मिसरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।फलं।।

लाया दिव्य दरब सबरी
आश यही पहली अगली
आ दर्शन दे जाओ ना
नयना और भिंजाओ ना
लगता ही नहीं
बिन तेरे
लगता ही नहीं
ये मन मेरा और कहीं ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
गुरु यानि गो अरु
भौ-वैतरणी-घाट गो गुरु

जयमाला
गो सेवा से बड़ी न सेवा ।
कहें सिन्धु विद्या गुरुदेवा ।।

अपने लिये सभी जीते हैं ।
जिसके पर-हित दृग् तीते हैं ।।
और न दूजा, उसकी पूजा
करें, उतर स्वर्गों से देवा ।।

कहें सिन्धु विद्या गुरुदेवा ।
गो सेवा से बड़ी न सेवा ।
कहें सिन्धु विद्या गुरुदेवा ।।

राम, लखन, मत हनुमत सीता ।
यही कृष्ण श्री भगवत्-गीता ।।
विष्णु महेशा, ब्रह्मुपदेशा ।
उमा, रमा, श्रुति, सरसुति, रेवा ।।
कहें सिन्धु विद्या गुरुदेवा ।।
गो सेवा से बड़ी न सेवा।
कहें सिन्धु विद्या गुरुदेवा ।।


“या: श्री सा: गो” रख विश्वासा ।
नेक देवता एक निवासा ।।
जय गोशाला, जय गोपाला
काम-धेन, वैतरणी खेवा ।

कहें सिन्धु विद्या गुरुदेवा ।।
जो सेवा से बड़ी न सेवा ।
कहें सिन्धु विद्या गुरुदेवा ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
वन्दन तिन्हें,
करें एक से एक
वन्दन जिन्हें,

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point