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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 929

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 929

तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं, 
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।स्थापना।।

मैं चढ़ाऊँ जल गगरी
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।जलं।।

मैं चढ़ाऊँ गंध निरी
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।चन्दनं।।

मैं चढ़ाऊँ धाँ विरली
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।अक्षतं।।

मैं चढ़ाऊँ लर गुल ई
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।पुष्पं।।

मैं चढ़ाऊँ चरु अरु ही
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।नैवेद्यं।।

मैं चढ़ाऊँ दीपक घी
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।दीपं।।

मैं चढ़ाऊँ अर सुरभी
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।धूपं।।

मैं चढ़ाऊँ फल मिसरी
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।फलं।।

मैं चढ़ाऊँ द्रव सबरी
‘के तुझ सा यहाँ कोई नहीं
तेरा चेहरा सबसे जुदा है ।
चाँद चौदवीं का, तुझ पे फिदा है ।।
भले मुझे कहने का कोई हक नहीं,
पर मुझे कहने में कोई शक नहीं ।
‘के तू बिलकुल रब-पे गया है ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
होते सब की ओर,
गुरु जी
होते रब की ओर

जयमाला
है न जादू से कम,
नजर उठाना तेरा
हैं दीवाना तभी,
ये सारा जमाना तेरा

गगन नील से ही सुंदर हैं
ये नैना तेरे
झील से भी सुन्दर है
श्री गुरुवरम्
है न जादू से कम,
मुस्कुराना तेरा
हैं दीवाना तभी,
ये सारा जमाना तेरा

है न जादू से कम,
नजर उठाना तेरा
हैं दीवाना तभी,
ये सारा जमाना तेरा

कोयलिया सरीखी है
ये जुबां तेरी
मुरलिया सी मीठी है
श्री गुरुवरम्
है न जादू से कम,
मुस्कुराना तेरा
हैं दीवाना तभी,
ये सारा जमाना तेरा

है न जादू से कम,
नजर उठाना तेरा
हैं दीवाना तभी,
ये सारा जमाना तेरा

बदगद तरु सी है
पाँव छैय्या तेरी
माँ का आँचल ही दूजी है
श्री गुरुवरम्
है न जादू से कम,
मुस्कुराना तेरा
हैं दीवाना तभी,
ये सारा जमाना तेरा

है न जादू से कम,
नजर उठाना तेरा
हैं दीवाना तभी,
ये सारा जमाना तेरा
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
अजनबी
हो करीबी जाता,
गुरु को जादू आता

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