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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 901

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 901

=हाईकू=
इन तन से तेरे पास,
मैं कभी-कभी आता हूँ ।
आये मन को कर कोशिश भी,
न लौटा पाता हूँ ।।

ये आँसु संग पवन,
छू जाते, आ तेरे चरण ।
चले आना, ‘कि रोजाना,
छू सके ये मेरे नयन ।।स्थापना।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ कलशे जल
‘के पा सकूँ पड़गाहन,
फिर-से कल ।।जलं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ गंध उदक
‘के फिर-से कल,
पा सकूँ गन्धोदक ।।चन्दनं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ धाँ शाली
‘के फिर-से कल,
मना सकूँ दीवाली ।।अक्षतं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ फूल सुमन
‘के फिर-से कल,
पा सकूँ धूल चरण ।।पुष्पं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ पकवाँ घी
‘के फिर-से कल,
पा सकूँ नवधा-भक्ति ।।नैवेद्यं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ दीप अबुझ
‘के फिर-से कल,
पा सकूँ अद्‌भुत कुछ ।।दीपं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ सुगंध अन
‘के फिर-से कल,
पा सकूँ वासन्त क्षण ।।धूपं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ फल सुरग
‘के फिर-से कल,
पा सकूँ सजल दृग् ।।फलं।।

ले आश यही,
चढ़ाऊँ गुल-तण्डुल
‘के फिर-से कल,
पा सकूँ घर गुरुकुल ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
मिला आनन-फानन में दें विधा से
गुरु माँ से

जयमाला
मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो
बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं

सच्ची, बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो

मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो

जी सकते हैं, चाँद बिना चकोर,
और जीते हैं
जी सकते हैं, बिना बादल मोर,
और जीते हैं
पर मैं जी सकता नहीं,
तुम बिना गुरुजी
देखो ना, ये मेरे नयन-कोर,
अभी भी तीते हैं

चाँद बिना चकोर,
बिना बादल मोर,
जी सकते हैं,
और जीते हैं
तुम बिना गुरुजी
पर मैं जी सकता नहीं,
तुम बिना गुरुजी

मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो
बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं

सच्ची, बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो

मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो

देखो ना, थम सी चली है,
दिन धड़‌कन मेरी
देखो ना, जम की चली है,
लोहु छनन-छन मेरी

जी सकते हैं, चाँद बिना चकोर,
और जीते हैं
जी सकते हैं, बिना बादल मोर,
और जीते हैं
पर मैं जी सकता नहीं,
तुम बिना गुरुजी
देखो ना, ये मेरे नयन-कोर,
अभी भी तीते हैं

चाँद बिना चकोर,
बिना बादल मोर,
जी सकते हैं,
और जीते हैं
तुम बिना गुरुजी
पर मैं जी सकता नहीं,
तुम बिना गुरुजी

मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो
बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं

सच्ची, बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो

मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो

देखो ना, नब्ज मेरी,
मिलने का ले रही नाम ना
देखो ना, आँख मेरी,
फिरने की, है करे कामना

जी सकते हैं, चाँद बिना चकोर,
और जीते हैं
जी सकते हैं, बिना बादल मोर,
और जीते हैं
पर मैं जी सकता नहीं,
तुम बिना गुरुजी
देखो ना, ये मेरे नयन-कोर,
अभी भी तीते हैं

चाँद बिना चकोर,
बिना बादल मोर,
जी सकते हैं,
और जीते हैं
तुम बिना गुरुजी
पर मैं जी सकता नहीं,
तुम बिना गुरुजी

मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो
बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं

सच्ची, बुद-बुद जल भी मिटते नहीं
इतने जल्दी बादल भी विघटते नहीं
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो

मैंने पाई न तेरी झलक
है होने को पूरा पल-पलक
कहाँ आँखों से ओझल हो जाते हो
।। जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
पोंछने आँसू कभी,
आ जाओ…
गुरु जी,
इधर भी

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