- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 881
न थी छोटी मोटी सी गुस्ताखी
दे करके तुमने मुझे माफी
मेरे दिल में बना लिया घर अपना
तुमने कर लिया मुझे, कायल अपना।।स्थापना।।
लाया दृग्-जल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।जलं।।
लिये गंध-जल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।चन्दनं।।
लिये धाँ धवल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।अक्षतं।।
लाया शत-दल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।पुष्पं।।
लिये चरु नवल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।नैवेद्यं।।
लिये लौं अचल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।दीपं।।
लिये सुर’भि पल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।धूपं।।
लाया श्रीफल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।फलं।।
लिये द्रव सकल, बस इसलिये,
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना
न और सपना
‘के किरपा अपनी,
यूँ ही बरसाये रखना ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
देख छलिया न उस सा,
गुरु जी ने छोड़ा गुस्सा
जयमाला
जो चरणों में आकर,
अपना माथ रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
फिर बन करके खिवैय्या ।
लगा देते पार उस नैय्या ॥
यूँ मनचाहा दे कर,
उनकी बात रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
जो चरणों में आकर,
अपना माथ रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
फिर बन करके बागबां ।
छुवा देते हैं आसमां ।।
यूँ मनचाहा दे कर,
उनकी बात रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
जो चरणों में आकर,
अपना माथ रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
फिर बन करके शिल्पी ।
कर देते हैं वजनी सीपी ।।
यूँ मनचाहा दे कर,
उनकी बात रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
जो चरणों में आकर,
अपना माथ रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
फिर बन करके पाछी हवा ।
ले चाले, तलक मंजिल धका ।।
यूँ मनचाहा दे कर,
उनकी बात रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
जो चरणों में आकर,
अपना माथ रख देते ।
गुरुवर ! उनके सिर पर,
अपना हाथ रख देते ॥
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
वाह तेरा क्या कहना…
हया-शर्मो-लाज गहना
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