loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 88

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रमांक 88

धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।स्थापना।।

सोने की गागर ।
नीर क्षीर सागर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।जलं।।

सोने की गागर ।
चन्दन मलयागिर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।चन्दनं।।

सोने की पातर ।
चावल मुक्ताफल ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।अक्षतं।।

सोने की पातर ।
पुष्प गंध आगर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।पुष्पं।।

सोने की पातर ।
चरु घृत पकाकर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।नेवैद्यं।।

सोने की पातर ।
ज्योत घृत जगाकर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।दीप॑।।

सोने की पातर ।
गंध दश सजाकर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।धूपं।।

सोने की पातर ।
फल सर झुकाकर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।फल॑।।

सोने की पातर ।
द्रव्य दिव्य लाकर ।
सादर चढ़ाऊँ, ले भावन शिव धाम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
पूर्णिमा शरद अभिराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।अर्घं।।

“दोहा”

सत्-शिव-सुन्दर, शान्त जे,
सहज, सरल, अविकार ।
गुरु विद्या सविनय तिन्हें,
नमन अनन्तों बार ॥

“जयमाला”

आ भी जाओ ना,
अब आ भी जाओ ना ।।
है होने को पूरा, एक अरसा गुरुजी ।
हुई न सहजो दया की बरसा गुरुजी ।।

गंगा और जमुना ।
बन चले है ये मेरे नयना ।।
आ भी जाओ ना,
अब आ भी जाओ ना ।।
तुम्हें याद करे ।
घर का मेरे ।
कोना कोना,
आ भी जाओ ना ।।

‘के सूना सूना,
तुम्हारे बिना,
घर का मेरे, कोना-कोना ।।

आ भी जाओ ना,
अब आ भी जाओ ना ।।
झड़ के पेड़ों के पत्ते मुस्कुराये फिर से ।
तुम गये ‘कि ‘बस गये’ मुड़ के न आये फिर से ।।
है होने को पूरा एक अरसा गुरुजी ।
हुई न सहजो दया की बरसा गुरुजी ।।

आ भी जाओ ना,
अब आ भी जाओ ना ।।
आने लगा, काली दो रात बीच, एक दिन ।
सताने लगा, चिड़िया न तितली ये अकेलापन ।।
है होने को पूरा एक अरसा गुरुजी ।
हुई न सहजो दया की बरसा गुरुजी ।।

आ भी जाओ ना,
अब आ भी जाओ ना ।।जयमाला पूर्णार्घं।।

“दोहा”

गुरु से कब कहनी पड़ी,
अपने मन की बात ।
मनो-कामना आप ही,
लगे दीखती हाथ ॥

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point