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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 869

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 869

=हाईकू=
चाहिये मुझे पड़गाहन
सुन ये निवेदन ।
मेरे भगवन्
तुम जो, आ गये हो मेरे आँगन ।।

मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।स्थापना।।

अपनाया ये जल क्षीर आपने
अपनाया ये दृग् नीर आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।। जलं।।

अपनाया ये घट चन्दन आपने
अपनाया ये हट नन्दन आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।चन्दनं।।

अपनाया ये धाँ शाली आपने
अपनाया ये सवाली आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।अक्षतं।।

अपनाया ये पुष्प विमान आपने
अपनाया ये पुतला गुमान आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।पुष्पं।।

अपनाया ये चरु घी का आपने
अपनाया ये गरीबा आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।नैवेद्यं।।

अपनाया ये दिया आपने
अपनाया ये दुखिया आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।दीपं।।

अपनाया ये घट धूप आपने
अपनाया कूप मण्डूक आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।धूपं।।

अपनाया ये फल सरस आपने
अपनाया ये खल नीरस आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।फलं।।

अपनाया ये अर्घ थाल आपने
अपनाया ये ग्वाल-बाल आपने
मुझको मिले चले दो-जहां
छुवा मैंने आसमां ।
हुआ पूरा
था सपना,
तुमने जो लिया अपना ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
कर लो मुझे नजदीक,
तेरा ही मैं चंचरीक

जयमाला
जिन्दगी मेरी थी, होने को ही खतम
जो न आते तुम बनके सरगम
जो न आके तुम लेते सर-गम
जिन्दगी मेरी थी होने को ही खतम

आ तुम्हीं ने तो जलाया,
था बुझने को दिया
आ तुम्हीं ने तो जिलाया,
था थमने को जिया

जो न आते तुम बनके सरगम
जो न आके तुम लेते सर-गम
जिन्दगी मेरी थी होने को ही खतम

आ तुम्हीं ने तो भरी
साँसों में जिन्दगानी
आ तुम्हीं ने तो भर दी,
इन रगों में रवानी

जो न आते तुम बनके सरगम
जो न आके तुम लेते सर-गम
जिन्दगी मेरी थी होने को ही खतम

आ तुम्हीं ने तो जलाया,
था बुझने को दिया
आ तुम्हीं ने तो जिलाया,
था थमने को जिया

जो न आते तुम बनके सरगम
जो न आके तुम लेते सर-गम
जिन्दगी मेरी थी होने को ही खतम

आ तुम्हीं ने तो अपना,
अपना नाम दिया
जीवन ही अपना,
इस अजनबी के नाम किया

आ तुम्हीं ने तो जलाया,
था बुझने को दिया
आ तुम्हीं ने तो जिलाया,
था थमने को जिया

जो न आते तुम बनके सरगम
जो न आके तुम लेते सर-गम
जिन्दगी मेरी थी होने को ही खतम
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
माँगे ही बिना,
मन भर देते, श्री गुरु अपना

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