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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 848

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 848

जुड़ चाले नाम मेरा,
तेरे नाम से
जैसे जुड़ा नाम मीरा,
हरी श्याम से
श्री राम से
नाम जैसे जुड़ा मारुति नन्दन
भगवति चन्दन
नाम जैसे जुड़ा महावीर स्वाम से
जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।स्थापना।।

आये दूर ग्राम से
लाये जल कलशे,
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।जलं।।

आये दूर ग्राम से
ले चन्दन कलशे
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।चन्दनं।।

आये दूर ग्राम से
ले धाँ मोती से
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।अक्षतं।।

आये दूर ग्राम से
ले गुल नभ बरसे
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।पुष्पं।।

आये दूर ग्राम से
ले चर, तर रस-से
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।नैवेद्यं।।

आये दूर ग्राम से
ले दीपक मण-से
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।दीपं।।

आये दूर ग्राम से
ले सुगंध खुद से
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।धूपं।।

आये दूर ग्राम से
ले फल दिव विकसे
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।फलं।।

आये दूर ग्राम से
ले सब द्रव दिव से
भरके श्रृद्धा से,
आये दूर ग्राम से
‘के जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
अपना…
गुरु पैर-निशाँ
लो बना सफर आसाँ

जयमाला
गुरु देव चल दिये लो छोड़,
तन्हा शहर को
दरख्त वो
फूट-फूट से रहा
खो परिन्दे को
दरख्त वो, फूट-फूट से रहा
और साथ-साथ कह रहा

हो गई गुस्ताखी तो
दे भी हमें माफी दो
किसलिये चल दिये हो दूर
दो बतला भी तो मेरा कसूर

गुरुदेव चल दिये क्यों छोड़,
टुकड़े जिगर को
गुरु देव चल दिये लो छोड़,
तन्हा शहर को
दरख्त वो
फूट-फूट से रहा
खो परिन्दे को
दरख्त वो, फूट-फूट से रहा
और साथ-साथ कह रहा

हो गई गुस्ताखी तो
दे भी हमें माफी दो
किधर की, है रख ली राह
दो बतला भी तो मेरा गुनाह

गुरुदेव चल दिये क्यों तोड़,
शीशे जिगर को
गुरु देव चल दिये लो छोड़,
तन्हा शहर को
दरख्त वो
फूट-फूट से रहा
खो परिन्दे को
दरख्त वो, फूट-फूट से रहा
और साथ-साथ कह रहा

हो गई गुस्ताखी तो
दे भी हमें माफी दो
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
आँख तीसरी,
दें खोल गुरु जी, दे ज्ञान भीतरी

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