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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 833

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 833

चहेरे से नूर टपकता है
जिन्हें हर कोई पढ़ सकता है
इतने मनहर, हर मन जिनको,
टकटकी लगा कर तकता है
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।स्थापना।।

सौधर्म भाँत लाकर
जल-क्षीर नीर गागर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।जलं।।

चन्दना भाँत लाकर
घिस, चन्दन रस गागर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।चन्दनं।।

पुन-अछत भाँत लाकर
धाँ शाल, न्यार पातर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।अक्षतं।।

मण्डूक भाँत लाकर
पाँखुड़ी पुष्प पातर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।पुष्पं।।

नृप सोम भाँत लाकर
घृत निर्मित चरु पातर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।नैवेद्यं।।

चन्द्रार्क भाँत लाकर
घृत, ज्योति मोति पातर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।दीपं।।

चक्रेश, भाँत लाकर
वन नन्द गंध गागर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।धूपं।।

कौण्डेश भाँत लाकर
भेले श्री फल पातर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।फलं।।

इक आप भाँत लाकर
जल चन्दनाद पातर
मैं भेंट रहा सविनय
जय विद्या सागर जय
जिन-धर्म प्रभाकर जय
सद्-गुण रत्नाकर जय
जय विद्या सागर जय ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
इस सेवक को,
मेरे मालिक ओ !
साथ रख लो

जयमाला
आप जगह तुम जो मुझसे कह दिया
मुट्टी-भर इस दिल में मेरे रह लिया
हम तुम्हारे हो गये
दृग् नम हमारे हो गये
हम तुम्हारे हो गये

गुल झरा ‘के नूर नज़र पा गया ‘दिया’
न बूँद-बूँद बढ़, रवानी पा गया दरिया
गम नजारे खो गये
हम तुम्हारे हो गये

आप जगह तुम जो मुझसे कह दिया
मुट्टी-भर इस दिल में मेरे रह लिया
हम तुम्हारे हो गये
दृग् नम हमारे हो गये
हम तुम्हारे हो गये

बेल पा गई सहारा आसमां दिखी
पाई सीप स्वाति-धार थम चली सिसकी
सरगम सितारे हो गये
हम तुम्हारे हो गये

आप जगह तुम जो मुझसे कह दिया
मुट्टी-भर इस दिल में मेरे रह लिया
हम तुम्हारे हो गये
गम नजारे खो गये
सरगम सितारे हो गये
हम तुम्हारे हो गये
दृग् नम हमारे हो गये
हम तुम्हारे हो गये
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
शिष्य में आता ही आता सुधार,
पा गुुरु दुलार

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