- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 811
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।स्थापना।।
धार छोड़ी जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
गहल तोड़ी जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।जलं।।
पुन समेटा जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
गंध भेंटा जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।चन्दनं।।
चढ़ाये धाँ जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
लगाया ध्याँ जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।अक्षतं।।
लगाया मन जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
‘कि भेंटे सुमन जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।पुष्पं।।
चढ़ाया चरु जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
के झिरा अश्रु जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।नैवेद्यं।।
जगाई लौं जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
जपा ‘जि न’मो जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।दीपं।।
धूप खेई जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
डूब सुर’भी जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।धूपं।।
गुजारे पल जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
चढ़ाये फल जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।फलं।।
भिंटाया सब जिनने,
गुरुदेव चरणों में,
समेत अदब जिनने,
उनकी बदल तकदीर गई,
नैय्या उपल लग तीर गई,
लग हाथों में,
टिक आँखों में,
जिनके श्री गुरु तस्वीर गई,
उनकी बदल तकदीर गई ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
नहीं हटती नज़र,
टिक जाती जो तुझ पर
जयमाला
पाया तुझे, मेरी तकदीर अच्छी है
पर तुझसे, तेरी तस्वीर अच्छी है
करीब से, जो देखते उसे,
न देखती, वो गुस्से से,
देर तक जो देखते उसे,
न देखती, वो गुस्से से,
सचमुच दिल की सच्ची है
तुझसे तेरी तस्वीर अच्छी है
अभी हुये ही नहीं दो पल,
‘कि लो,
आप कहने लगते हैं, उठो चलो,
देर यहाँ बैठना,
ये बात ना अच्छी है
तुझसे तेरी तस्वीर अच्छी है
देते भी हो तो कंजूसी से,
मुस्कान हो, या हो नज़र,
जाने बचा रख लेते हो किसे,
खैर, किस्मत किसी की तो, मुझसे अच्छी है
तुझसे तेरी तस्वीर अच्छी है
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
सब आता,
पै गुरु जी को करना गुस्सा न आता
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