परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रमांक 82
दूज शरद पूनम चंदा !
माई श्री मन्ती नंदा ।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।स्थापना।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
नैन कटोरी जल लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।जलं।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
भक्ति भाव ‘चन्दन’ लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।चन्दनं।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
गद-गद उर अक्षत लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।अक्षतं।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
वर्ण विभिन्न पुष्प लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।पुष्पं।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
फूटे सुगंध चरु लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।नेवैद्यं।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
अनबुझ रतन ज्योत लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।दीप॑।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
‘पात्र’ स्वर्ण सुगंध लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।धूपं।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
नवल नवल ऋत फल लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।फल॑।।
तुम्हें मना पायें, आये ।
शबरी द्रव्य थाल लाये ।।
पुलकन रोम-रोम छाये ।।
श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।।
तारण तरण, दरद-मन्दा ।
माई श्री मन्ती नन्दा ।।अर्घं।।
दोहा=
जिन्हें ज्ञात हर-एक के,
अन्तरंग की बात ।
गुरु विद्या सविनय मिरा,
तिन चरणन प्रणिपात ।।
=जयमाला=
वर्तमान के वर्धमान भगवान् हैं ।
सन्त शिरोमणी विद्या गुरु महान हैं ।।
पिता मलप्पा नाता ।
जिनकी श्रीमति माता ।।
नूर सदलगा, कर्नाटक की शान हैं ।
सन्त शिरोमणी विद्या गुरु महान हैं ।।
पा व्रत प्रतिमा हरषे ।
सूरि देश भूषण से ।।
ज्ञान ललक ने, भाग लिखे गुरु ज्ञान हैं ।
सन्त शिरोमणी विद्या गुरु महान हैं ।।
‘दर्शन’, हटा अँधेरा ।
जिन दीक्षा अजमेरा ।।
हो चाले अठ-बीस मूल गुण प्राण हैं ।
सन्त शिरोमणी विद्या गुरु महान हैं ।।
कुन्द-कुन्द जश पाया ।
गुरुकुल संघ बनाया ।।
अद्भुत सहज-निराकुल आप समान हैं ।
सन्त शिरोमणी विद्या गुरु महान हैं ।।
वर्तमान के वर्धमान भगवान् हैं ।
सन्त शिरोमणी विद्या गुरु महान हैं ।।
वर्तमान के वर्धमान भगवान् हैं ।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
दोहा=
जान भक्त वत्सल तुम्हें,
देते हम आवाज ।
साथ चला चाहें, रुको,
गुरु विद्या महाराज ॥
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