- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 809
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।स्थापना।।
भर जल झारी,
न भेंटूँ खाली,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।जलं।।
चन्दन प्याली,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।चन्दनं।।
धानिक शाली,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।अक्षतं।।
पुष्प पिटारा,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।पुष्पं।।
चरु घृत वाली
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।नैवेद्यं।।
अबुझ दिवाली,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।दीपं।।
गंध निराली,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।धूपं।।
फल दिव क्यारी,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।फलं।।
द्रव दिव सारी,
शुभकामनाएँ,
साथ भेंटूँ दुआएँ,
‘के तुम साल-हजार जिओ,
अजि ओ !
गुरु जी अहो !
अन्धुये नजारे छुओ,
तुम चाँद-सितारे छुओ,
बस यही,
दिली-ख्वाहिश मेरी,
तुम साल-हजार जिओ ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
चाँद दिखा न आगे एक कदम,
‘आप’ कसम
जयमाला
आपके सदे हुये कदम
कुछ कहते से हरदम
कहाँ न चिकनाई,
हर कहीं, हहा ! काई,
न हो जायें फिसलना
‘रे साधो ! संभलना,
ये दुनिया बड़ी ठग है,
इस दुनिया का दूनिया अलग है,
यहाँ,
लेता सनेही पतंगे की जाँ, दीपक है,
लेता सनेही पतंगे की जाँ,
यहाँ, दीपक है,
इस दुनिया का दूनिया अलग है,
ये दुनिया बड़ी ठग है,
इस दुनिया का दूनिया अलग है,
यहाँ कोई न अपना
‘रे साधो ! संभलना,
कहाँ न चिकनाई,
हर कहीं, हहा ! काई,
न हो जायें फिसलना
‘रे साधो ! संभलना,
आपके सदे हुये कदम
कुछ कहते से हरदम
कहाँ न चिकनाई,
हर कहीं, हहा ! काई,
न हो जायें फिसलना
‘रे साधो ! संभलना,
दोगली ये दुनिया, है स्वार्थी बड़ी,
नागिन अपने ही ‘जाये’, खाने खड़ी,
यहाँ,
लागी मगर आँखों से हहा ! सावन झड़ी,
लागी मगर आँखों से हहा !
यहाँ, सावन झड़ी,
नागिन अपने ही ‘जाये’, खाने खड़ी,
दोगली ये दुनिया, है स्वार्थी बड़ी,
नागिन अपने ही ‘जाये’, खाने खड़ी,
यहाँ कोई न अपना
‘रे साधो ! संभलना,
कहाँ न चिकनाई,
हर कहीं, हहा ! काई,
न हो जायें फिसलना
‘रे साधो ! संभलना,
आपके सदे हुये कदम
कुछ कहते से हरदम
कहाँ न चिकनाई,
हर कहीं, हहा ! काई,
न हो जायें फिसलना
‘रे साधो ! संभलना,
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
कैसे भी देंगे बता हल,
दे बता गुरु मुश्किल
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