loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 798

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 798

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर

क्या अचरज इसमें
है न देखा किसने
सूरज जहाँ, सूरज मुखी
आ ही रहा राजी-खुशी
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।स्थापना।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज नम दृग् कोर,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।जलं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज चन्दन घोर,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।चन्दनं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज अक्षत जोड़,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।अक्षतं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज पुष्प बटोर,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।पुष्पं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज चरु घृत बोर,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।नैवेद्यं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज लौं बेजोड़,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।दीपं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज फल चित् चोर,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।धूपं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज सुगंध भोर,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।फलं।।

तुम चन्दा, मैं चकोर,
तभी ले आता, रोज अर्घ अमोल,
हो तुम जो भीतर

फिर फिर नजर
छू रही जिगर
हो तुम जो भीतर
अय ! मेरे गुरुवर ।।अर्घ्यं।।

हाईकू
खफा होना,
न आता गुरु को वक्त वरखा रोना

जयमाला
गुरु देव जी
न छोड़ें राम भरोसे,
न दें गिरने नजरों से
अपनी, न और की
गुरुदेव जी

दिल से निकल दुआ
न पाई थी, छू अभी जुबाँ
आ खड़े हुये ‘कि आस-पास ही

गुरु देव जी
न छोड़ें राम भरोसे,
न दें गिरने नजरों से
अपनी, न और की,
गुरुदेव जी

बूँद-पानी न कीचड़ बने,
‘के समा भीतर अपने,
सुदूर मौत, मोति में ढ़ाल दी,

गुरु देव जी
न छोड़ें राम भरोसे,
न दें गिरने नजरों से
अपनी, न और की
गुरुदेव जी

दिल से निकल दुआ
न पाई थी, छू अभी जुबाँ
आ खड़े हुये ‘कि आस-पास ही

गुरु देव जी
न छोड़ें राम भरोसे,
न दें गिरने नजरों से
अपनी, न और की,
गुरु देव जी,

जाँ-लेवापन न कत्तल गढ़े,
‘के आते जाते दे अपने थपेड़े,
जीवन-दाँ मूरत में ढ़ाल दी,

गुरु देव जी
न छोड़ें राम भरोसे,
न दें गिरने नजरों से
अपनी, न और की
गुरुदेव जी

दिल से निकल दुआ
न पाई थी, छू अभी जुबाँ
आ खड़े हुये ‘कि आस-पास ही

गुरु देव जी
न छोड़ें राम भरोसे,
न दें गिरने नजरों से
अपनी, न और की,
गुरु देव जी
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू
दो वरदान,
रोज दे सकें तुम्हें आहार दान

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point