- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 790
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।स्थापना।।
छोडूंँ चरणन जल धार,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।जलं।।
भेंटूँ रज मलयज झार,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।चन्दनं।।
भेंटूँ चरणन धाँ शाल,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।अक्षतं।।
भेंटूँ दिव पुष्प पिटार,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।पुष्पं।।
भेंटूँ व्यंजन मनहार,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।नैवेद्यं।।
भेंटूँ घृत दीप प्रजाल,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।दीपं।।
भेंटूँ सुगंध-दश न्यार,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।धूपं।।
भेंटूँ श्री फल मण थाल,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।फलं।।
भेंटूँ दिव द्रव्य कतार,
सूना मेरा घर-द्वार
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा
चल दी होली सूनी,
चल दी राखी सूनी,
न ऐसा हो,
गुरु जी अहो.
‘के चल दे दिवाली सूनी,
बरसा दो कृपा,
कृपया, बरसा दो कृपा ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
‘न करें बात गुरुवर,
लहजा बदलकर
जयमाला
हर मुश्किल मेरी,
अय ! वर्तमाँ वर्धमाँ
आपने सिर अपने ले ली
करके अहसाँ,
दी सुलझा
आहिस्ता मुस्कुरा
उठा नजरें जरा,
दी सुलझा, उलझी पहेली
हर मुश्किल मेरी,
अय ! वर्तमाँ वर्धमाँ
आपने सिर अपने ले ली
पास अपने बिठा,
प्यास अमृत बुझा,
करके अहसाँ,
दी सुलझा
आहिस्ता मुस्कुरा
उठा नजरें जरा,
दी सुलझा, उलझी पहेली
हर मुश्किल मेरी,
अय ! वर्तमाँ वर्धमाँ
आपने सिर अपने ले ली
अकेला है तू ना,
कह के साथ मैं हूँ ना,
करके अहसाँ,
दी सुलझा
आहिस्ता मुस्कुरा
उठा नजरें जरा,
दी सुलझा, उलझी पहेली
हर मुश्किल मेरी,
अय ! वर्तमाँ वर्धमाँ
आपने सिर अपने ले ली
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
रक्खें खबर गुरुवर,
छुये तो कैसे फिकर
Sharing is caring!