- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 755
=हाईकू=
मेंटी चन्दन पीरा,
ए ! मेरे वीरा,
हूँ मैं भी तेरा ।।स्थापना।।
प्रणाम मेरे,
कर स्वीकार लो,
ये पानीय घड़े ।।जलं।।
वन्दन मेरे,
‘स्वीकार लो’
ये घडे़, चन्दन मेरे ।।चन्दनं।।
ढोक फर्सी,
लो कर स्वीकार,
ये धाँ शाली गुरु जी ।।अक्षतं।।
दे चरणों में दो जगह,
पुष्प,
लो स्वीकार यह ।।पुष्पं।।
ओ गुरुराई,
कर स्वीकार लो,
ये घृत मिठाई ।।नैवेद्यं।।
न और अर्जी,
लो स्वीकार,
ये दीप मोर गुरु जी ।।दीपं।।
मन्त्र नमन,
कर स्वीकार लो,
ये सुगंध अन ।।धूपं।।
श्री फल ढेरी,
गुरु देवा,
स्वीकार लो,
सेवा मेरी ।।फलं।।
गुरु देवा मैं,
लाया अर्घ,
स्वीकारो आया सेवा में ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
‘अंक-शून’ का
‘रिश्ता गुरु-शिष्प का,
दूजा खून का
।।जयमाला।।
आया मैं,
सिर्फ और सिर्फ तेरे लिये
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
कब मैं रोजाना,
आ करता हूँ परेशाँ
‘के आया मैं,
बहाना देते हो तुम बना हमेशा
‘के आया मैं,
बहाना देते हो तुम बना हमेशा
कब मैं रोजाना,
आ करता हूँ परेशाँ
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
आया मैं,
सिर्फ और सिर्फ तेरे लिये
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
तुम्हें, क्या मैं आता न रास हूँ
दिलाऊँ में विश्वास कैसे
‘के सिर्फ और सिर्फ मैं,
तेरे चरणों का दास हूँ
जाने तुम्हें,
क्यूँ मैं आता न रास हूँ
आया मैं,
सिर्फ और सिर्फ तेरे लिये
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
कब मैं रोजाना,
आ करता हूँ परेशाँ
‘के आया मैं,
बहाना देते हो तुम बना हमेशा
‘के आया मैं,
बहाना देते हो तुम बना हमेशा
कब मैं रोजाना,
आ करता हूँ परेशाँ
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
आया मैं,
सिर्फ और सिर्फ तेरे लिये
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
वैसे इतना भी बुरा नहीं हूँ मैं
जैसा भी हूँ, तेरा अपना ही हूँ मैं
दिलाऊँ में विश्वास कैसे
‘के सिर्फ और सिर्फ मैं,
तेरे चरणों का दास हूँ
जाने तुम्हें,
क्यूँ मैं आता न रास हूँ
आया मैं,
सिर्फ और सिर्फ तेरे लिये
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
कब मैं रोजाना,
आ करता हूँ परेशाँ
‘के आया मैं,
बहाना देते हो तुम बना हमेशा
‘के आया मैं,
बहाना देते हो तुम बना हमेशा
कब मैं रोजाना,
आ करता हूँ परेशाँ
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
आया मैं,
सिर्फ और सिर्फ तेरे लिये
दे दो अपने,
दो लम्हें मेरे लिये
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
ए ! आचरण गगन,
कर खुद सा लो मगन
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