- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 754
-हाईकू-
हो गये आप-मय,
‘जि गुरु जी खो गये आप में ।।स्थापना।।
रख अपने पास लो,
‘जल’ लौटा न निराश हो ।।जलं।।
रख अपने पास लो,
‘चन्दन’ सा इस दास को ।।चन्दनं।।
रख अपने पास लो,
‘अक्षत’ सा बना खास लो ।।अक्षतं।।
रख अपने पास लो,
सुमन’ ये मेरे स्वास ओ ।।पुष्पं।।
रख अपने पास लो ,
‘व्यञ्जन’ रु स्वर-भाष ओ ।।नैवेद्यं।।
रख अपने पास लो,
‘ज्योति’ और मोति-राश ओ ।।दीपं।।
रख अपने पास लो,
‘सुगंध’ सो…ना’ सुवास ओ ।।धूपं।।
रख अपने पास लो,
‘भेले’ मेले समाकाश ओ ।।फलं।।
रख अपने पास लो,
‘अर्घ’, नहीं अभिलाष औ ।।अर्घ्यं।।
-हाईकू-
सामने आप
मिल जाते जबाब
अपने-आप
।।जयमाला।।
आ बरस गये
घन-सघन
परन्तु तुम नहीं आये
हा ! तरस गये
मेरे नयन
परन्तु तुम नहीं आये
माँ श्री मन्त सुत !
दया क्षमा बुत !
माँ श्री मन्त सुत !
चले आँसू भले आये
परन्तु तुम नहीं आये
हा ! तरस गये
मेरे नयन
परन्तु तुम नहीं आये
आ बरस गये
घन-सघन
परन्तु तुम नहीं आये
हा ! तरस गये
मेरे नयन
परन्तु तुम नहीं आये
सन्त सदलगा
अय ! नूरे-जहां
सन्त सदलगा
चाँद सूरज भले आये
परन्तु तुम नहीं आये
हा ! तरस गये
मेरे नयन
परन्तु तुम नहीं आये
आ बरस गये
घन-सघन
परन्तु तुम नहीं आये
हा ! तरस गये
मेरे नयन
परन्तु तुम नहीं आये
माँ श्री मन्त सुत !
दया क्षमा बुत !
माँ श्री मन्त सुत !
चले आँसू भले आये
परन्तु तुम नहीं आये
हा ! तरस गये
मेरे नयन
परन्तु तुम नहीं आये
आ बरस गये
घन-सघन
परन्तु तुम नहीं आये
हा ! तरस गये
मेरे नयन
परन्तु तुम नहीं आये
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
-हाईकू-
मुस्कान का तो बनता हक,
दे ‘जि दो ना तनिक
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