loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 744

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 744

हाईकू
राहे-मिलन-प्रभु,
गुजरे छूती चरण गुरु ।।स्थापना।।

‘सुनते तुम’
फेरते तकदीर,
सो भेंटूँ नीर ।।जलं।।

‘सुनते तुम’
मेंटते पाप-बंध
सो भेंटूँ गंध ।।चन्दनं।।

‘सुनते तुम’
एक रहनुमाँ,
सो भेंटूँ शालि धाँ ।।अक्षतं।।

‘सुनते तुम’
और चन्दा-पून,
सो भेंटूँ प्रसून ।।पुष्पं।।

‘सुनते तुम’
दुखिया अरज,
सो भेंटूँ नेवज ।।नैवेद्यं।।

‘सुनते तुम’
सुनते न खाली,
सो भेंटूँ दीपाली ।।दीपं।।

‘सुनते तुम’
गुरु-भक्ति-अंधी,
सो भेंटूँ सुगंधी ।।धूपं।।

‘सुनते तुम’
न पड़ते झमेले,
सो भेंटूँ भेले ।।फलं।।

‘सुनते तुम’
जाओगे फिर स्वर्ग,
सो भेंटूँ अर्घ ।।अर्घ्यं।।

हाईकू
थाम या गुरु-हाथ दे थमा,
और ले छू आसमां

जयमाला

उठा लेते गोद में गुरुदेव
काँटे बिखरे रास्ते में देख
उठा लेते गोद में गुरुदेव

पूरी करते हैं इच्छा
भक्तों को गुरुदेव
बेवजह करते है रक्षा
स्वयमेव, आकर के सदैव

सुरीली बाँसुरी, वंशा
भक्तों को गुरुदेव
‘रे कर देते हैं हंसा
स्वयमेव, आकर के सदैव

बन करके बागबाँ
भक्तों को गुरुदेव
छुवा देते हैं आसमाँ
स्वयमेव, आकर के सदैव

।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू
करें मन्नत पूरी,
‘गुरु’
पाट दें जन्नत दूरी

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point