- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 729
=हाईकू=
कृपा हो जाये गुरुवर,
पलकें बिछाये घर ।।स्थापना।।
नाता तुमसे जोड़ने चले आये,
दृग्-जल लाये ।।जलं।।
तेरा मेरा ‘कि जुड़ बन्धन जाये,
चन्दन लाये ।।चन्दनं।।
दृग्-सीले लाये,
तुम्हें मनाने आये,
धाँ पीले लाये ।।अक्षतं।।
पाती-कुंकुम, कुसुम लाये,
तुम्हें मनाने आये ।।पुष्पं।।
मिलन’ तोर ओर अरमाँ,
लाये और पकवाँ ।।नैवेद्यं।।
आ-पाने कुछ और करीब आये,
प्रदीव लाये ।।दीपं।।
धूप लाये,
‘कि तुमसे जुड़ रिश्ता अटूट जाये ।।धूपं।।
भेले लाये,
‘कि तुमसे मिलना हो अकेले जाये ।।फलं।।
लाये अरघ,
‘कि मेरी ओर तुम लो बढ़ा डग ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
खिसकाते ही,
गुरु नाम
‘मन-के’
सुधरें भाव
।।जयमाला।।
पीछे हमें लगा लो
पीछी वाले ओ !
पीछे हमें लगा लो
जाना तुम्हें ‘जी जहाँ
जाना हमें भी वहाँ
पीछे हमें लगा लो
पीछी वाले ओ !
पीछे हमें लगा लो
है मँझधार में मेरी नैय्या
न समझदार मैं, न है खिवैय्या
जाना तुम्हें ‘जी जहाँ
जाना हमें भी वहाँ
पीछे हमें लगा लो
पीछी वाले ओ !
पीछे हमें लगा लो
सीधी सी है भी कहाँ राहें
लगी छलिंयों की भी निगाहें
जाना तुम्हें ‘जी जहाँ
जाना हमें भी वहाँ
पीछे हमें लगा लो
पीछी वाले ओ !
पीछे हमें लगा लो
है मँझधार में मेरी नैय्या
न समझदार मैं, न है खिवैय्या
जाना तुम्हें ‘जी जहाँ
जाना हमें भी वहाँ
पीछे हमें लगा लो
पीछी वाले ओ !
पीछे हमें लगा लो
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
छुयें श्री गुरु-पाद-धूल आ…
छूने कुछ अन्छुआ
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