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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 727

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 727

*हाईकू*
अजि न रूठें, 
कटी पतंग लोग जम के लूटें ।।स्थापना।।

स्वीकारो नीर लाये,
‘के साँचे क्षीर,
ढ़लने आये ।।जलं।।

स्वीकारो गंध लाये,
‘के साँचे हंस,
ढ़लने आये ।।चन्दनं।।

स्वीकारो सुधाँ लाये,
साँचे वसुधा,
ढ़लने आये ।।अक्षतं।।

स्वीकारो गुल लाये,
‘के साँचे पुल,
ढ़लने आये ।।पुष्पं।।

स्वीकारो चरु लाये,
‘के साँचे तरु,
ढ़लने आये ।।नैवेद्यं।।

स्वीकारो दिया लाये,
साँचे नदिया,
ढ़लने आये ।।दीपं।।

स्वीकारो धूप लाये,
‘के साँचे कूप,
ढ़लने आये ।।धूपं।।

स्वीकारो फल लाये,
साँचे अनिल,
ढ़लने आये ।।फलं।।

स्वीकारो अर्घ लाये
साँचे चंद्रार्क,
ढ़लने आये ।।अर्घ्यं।।

*हाईकू*
काम अपने टाल,
दें गुरु झोली सपने डाल

।।जयमाला।।

हैरान है जमाना

इक अजनबी को
आपने दे शरणा
चरणों में,
जो लेने दिया बना,
आशियाना
देख, सुन ये फसाना,
हैरान है जमाना

आप पडगाहन के लिये,
थे खड़े,
सेठिया बड़े-बड़े
लो आपका
करीब इस गरीब के,
खड़े हो जाना
देख, सुन ये फसाना,
हैरान है जमाना

थे आये दर्शन के लिये,
देवता कई सारे
तुम्हारे
नैनों का करके उन्हें, इक किनारे
देख मुझको मुस्कुराना
देख, सुन ये फसाना,
हैरान है जमाना

।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

*हाईकू*
झोली ही नहीं,
देते भर-घर,
आ तो,
गुरु-दर

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