- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 619
हाईकू
इतिहास,
आ…
गुरु-द्वार, लौटा न कोई निराश ।।स्थापना।।
जल भेंटूँ मैं,
अपनों से हारना जो आया तुम्हें ।।जलं।।
तरंग मन मारना आया तुम्हें,
गंध भेंटूँ मैं ।।चन्दनं।।
करता दुखी, दुख-और तुम्हें,
धाँ-शालि भेंटूँ मैं ।।अक्षतं।।
हवा-पाछी जो बनना आया तुम्हें,
पुष्प भेंटूँ मैं ।।पुष्पं।।
बातों में मिश्री घोलना आया तुम्हें,
चरु भेंटूँ मैं ।।नैवेद्यं।।
नजर स्याही मेंटना आया तुम्हें,
ज्योती भेंटूँ मैं ।।दीपं।।
भेंटूँ धूप मैं,
मर…हम बनना जो आया तुम्हें ।।धूपं।।
बगैर ‘लेन’, देन जो आया तुम्हें,
भेले भेंटूँ मैं ।।फलं।।
भेंटूँ अर्घ मैं,
नजर-माँ देखना जो आया तुम्हें ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
पल-पलक, जुड़े गुरु से रिश्ता
‘के मिले रस्ता
जयमाला
न और सपना
लो अपना
बना लो अपना
‘जि परेशाँ नहीं करेंगे ।
जो कहोगे, वही करेंगे ।।
सो ‘जि जायेंगे जल्दी ।
उठ भी जायेंगे जल्दी ।।
न और सपना
लो अपना
बना लो अपना
‘जि परेशाँ नहीं करेंगे ।
जो कहोगे, वही करेंगे ।।
न चलेंगे ले वैशाखी ।
न करेंगे ताँका-झांकी |।
न और सपना
लो अपना
बना लो अपना
‘जि परेशाँ नहीं करेंगे ।
जो कहोगे, वही करेंगे ।।
कभी न खायेंगे चुगली ।
गली न जायेंगे दोगली ।।
न और सपना
लो अपना
बना लो अपना
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।
हाईकू
‘सपन’
मिलें यूँ ही रोज, भिंजोने, आप चरण
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