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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 600

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 600

हाईकू
सुनते आप जगत् की,
सुन चला आया ‘तुरत-ही ।।स्थापना।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
ले जल, ए ! विश्वास म्हारे ।।जलं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
ले चन्दन कलशे न्यारे ।।चन्दनं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
ले धाँ शालि हाथ सुधारे ।।अक्षतं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
लिये दिव्य पुष्प पिटारे ।।पुष्पं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
नेवज ले पाने किनारे ।।नैवेद्यं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
ले ज्योत, ए ! पोत-सहारे ।।दीपं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
ले धूप ए ! नूप नजारे ।।धूपं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
ले फल ए ! तीरथ सारे ।।फलं।।

आया द्वारे मैं तिहारे,
ले अर्घ ए ! तारण हारे ।।अर्घं।।

हाईकू
हैं देखें तेरी राहें हरदम,
ये निगाहें नम

जयमाला

ये दिल की धड़कन,
नाड़ी की फड़कन,
हरगिज न मेरी
अमानत है तेरी

‘जि गुरुदेव जी
‘जि गुरुदेव जी

पलकों की थिरकन,
साँसों की सरकन,
हरगिज न मेरी,
अमानत ये तेरी

‘जि गुरुदेव जी
‘जि गुरुदेव जी

मिलकीयत शगुन-गुन,
लफ़्ज़ों की रुन-झुन
हरगिज न मेरी,
अमनात है तेरी,

‘जि गुरुदेव जी
‘जि गुरुदेव जी

दौलत-ए-अशुअन,
रगे-लहु, झनन-झन
हरगिज न मेरी,
अमनात है तेरी,

‘जि गुरुदेव जी
‘जि गुरुदेव जी
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू
अपने-भक्तों में लो कर चयन,
मैं तर नयन

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