- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 590
=हाईकू=
मैं ना,
‘कि कह रही नासा,
न इंसां
कोई इनसा ।।स्थापना।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले दृग् जल भिंजाने तुम्हें ।।जलं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले चन्दन, रिझाने तुम्हें ।।चन्दनं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले धाँ घर बुलाने तुम्हें ।।अक्षतं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले सुमन, भिंटाने तुम्हें ।।पुष्पं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले व्यंजन, खिलाने तुम्हें ।।नैवेद्यं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले दीप, चित् बिठाने तुम्हें ।।दीपं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले धूप, दृग समाने तुम्हें ।।धूपं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले श्री फल, पा पाने तुम्हें ।।फलं।।
भक्त तुम्हारा मैं,
आया ले अरघ, मनाने तुम्हें ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
लो गुरूर छू हुआ,
नाम था अभी सद्-गुरु छुआ
।। जयमाला।।
गला भर देती है, आशु ओ ‘जी
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
लगा झिर देती है, आँसुओं की
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
रंगों में गई कुछ समा इस तरह
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
दृग्-चकोर चन्द्रमा जिस तरह
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
खो-सी गई मेरी तो सुध-बुध
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
न जाती, आती-जाती भले रुत
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
कहीं चेन नहीं पा रहा ये मन
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
करे बेचेन सारी रैन, दिन-दिन
तेरी-याद, तेरी-याद, तेरी-याद
लगा झिर देती है, आँसुओं की
गला भर देती है, आशु ओ ‘जी
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
तमन्ना,
लिक्खूँ तवस्तवन,
बना-गगन-पन्ना
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