- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 529
=हाईकू=
और चेहरा भगवन्
श्री गुरु वे तिन्हें वन्दन।।स्थापना।।
यम-जन्म ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये जल इतर ।।जलं।।
पाप-ताप ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये चन्दन अर ।।चन्दनं।।
नेह-देह ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये धाँ मनहर ।।अक्षतं।।
नाम-काम ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये पुष्प अमर ।।पुष्पं।।
आधि-व्याधि ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये व्यंजन सुर ।।नैवेद्यं।।
मोह-द्रोह ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये दीप अखर ।।दीपं।।
संध-बंध ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये अर-अगर ।।धूपं।।
राह-श्याह ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये फल मधुर ।।फलं।।
लोभ-क्षोभ ‘कि हो छू-मन्तर,
लाये अर्घ पातर ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
बोल-कड़वे जायका,
न माँओं ने ले कभी देखा
।।जयमाला।।
तेरे चरणों की धूली
है कोई चीज न मामूली
यह बेशकीमती है
हर चीज की कीमत है
यह बेशकीमती है
पा जो गया इसे
वो बड़ा खुश किस्मत है
हर चीज की कीमत है
है कोई चीज न मामूली
तेरे चरणों की धूली
आगे इसके फीका है
चन्दन, कस्तूर
जहाँ दोई नूर
कहाँ इससे नीका है
तेरे चरणों की धूली
है कोई चीज न मामूली
यह बेशकीमती है
हर चीज की कीमत है
यह बेशकीमती है
पा जो गया इसे
वो बड़ा खुश किस्मत है
हर चीज की कीमत है
है कोई चीज न मामूली
तेरे चरणों की धूली
कहाँ इस सरीखा है
परिकर हूर
हीरा कोहिनूर
कहाँ इस सा दीखा है
तेरे चरणों की धूली
है कोई चीज न मामूली
यह बेशकीमती है
हर चीज की कीमत है
यह बेशकीमती है
पा जो गया इसे
वो बड़ा खुश किस्मत है
हर चीज की कीमत है
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
थे,
है,
तेरे ही,
रहेंगे भगवन् मेरे !
आगे भी
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