- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 527
=हाईकू=
हम तुम्हारे हैं,
जब से नभ में चाँद तारे हैं ।।स्थापना।।
जन्मान्तक हो गुम,
लाये उदक, आये दृग् नम ।।जलं।।
भौ-तपन हो गुम,
लाये चन्दन, आये दृग् नम ।।चन्दनं।।
गफलत हो गुम,
लाये अक्षत, आये दृग् नम ।।अक्षतं।।
मनसिज हो गुम,
लाये द्यु-स्रज, आये दृग् नम ।।पुष्पं।।
क्षुध् वेदन हो गुम,
लाये व्यञ्जन, आये दृग् नम ।।नैवेद्यं।।
दुख सीप हो गुम,
लाये प्रदीप, आये दृग् नम ।।दीपं।।
कर्म-बन्ध हो गुम,
लाये सुगन्ध, आये दृग् नम ।।धूपं।।
सिरी खल हो गुम,
लाये श्रीफल, आये दृग् नम ।।फलं।।
धी उन्मग हो गुम,
लाये अरघ, आये दृग् नम ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
दिल का रिश्ता तुमसे अटूट,
न कहते झूठ
।।जयमाला।।
रिश्ता जो जुड़ गया तुझसे
जुड़ गई है खुशियाँ मुझसे
चिड़िया घर मेरे फिरके आने लगी
मेरा होंसला बढ़ाने लगी
आ घौंसला बनाने लगी
मेरा हौंसला बढ़ाने लगी
चिड़िया घर मेरे फिरके आने लगी
हर तरफ से,
रिश्ता जो जुड़ गया तुझसे
जुड़ गई हैं खुशिंयाँ मुझसे
पेड़-मेरे आँगन का पा सावन गया है
फिर के नया सा बन गया है
फूल ही नहीं, पा फल भी अनगिन गया है
फिर के नया सा बन गया है
हर तरफ से
रिश्ता जो जुड़ गया तुझसे
जुड़ गई हैं खुशिंयाँ मुझसे
चिड़िया घर मेरे फिरके आने लगी
मेरा होंसला बढ़ाने लगी
आ घौंसला बनाने लगी
मेरा हौंसला बढ़ाने लगी
चिड़िया घर मेरे फिरके आने लगी
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू =
पंखा,
ढुलाने ‘पर’
देते हवा यूँ ही गुरुवर
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