- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 504
हाईकू
शरणा आये,
‘सुन आपको पीड़ा’
हरना आये ।।स्थापना।।
ले आये जल हम,
‘सुन-तू लेता’ सिर सितम ।।जलं।।
लाये चन्दन हम,
‘सुन-तू लेता’ भर जखम ।।चन्दनं।।
लाये अक्षत हम,
‘सुन-तू लेता’ चूँकि दृग् नम ।।अक्षतं।।
ले आये पुष्प हम,
‘सुन-तू लेता’ झगड़ यम ।।पुष्पं।।
लाये नैवेद्य हम,
‘सुन-तू लेता’ आहार कम ।।नैवेद्यं।।
ले आये दीप हम,
‘सुन- तू लेता’ खदेड़ तम ।।दीपं।।
ले आये धूप हम,
‘सुन- तू लेता’ ध्याँ शुद्धातम ।।धूपं।।
लाये श्रीफल हम,
‘सुन-तू लेता’ रस-आगम ।।फलं।।
ले आये अर्घ हम,
‘सुन- तू लेता’ व्यथा ‘अधम’ ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
सिंह
विरले होते
हंस
विरले ही होते
सन्त
जयमाला
नाजुक फूल से
तेरे चरण छुये
‘के धूल-कण चन्दन हुये
मामूली-जन श्री मन हुये
ये चरण तेरे, नहीं तीरथ से कम
छू इन्हें चूमें मंजिल कदम
खुदा से
ये जुदा से
हैं ढल गये भूल से
नाजुक फूल से
तेरे चरण छुये
‘के धूल-कण चन्दन हुये
मामूली-जन श्री मन हुये
ये चरण तेरे, नहीं तीरथ से कम
छू इन्हें चूमें मंजिल कदम
ये एक तेरे चरण हैं, जन्नते रस्ता
छू इन्हें जुड़ता फरिश्तों से रिश्ता
सुकूने तरु-मूल से
खुदा से
ये जुदा से
हैं ढल गये भूल से
नाजुक फूल से
तेरे चरण छुये
‘के धूल-कण चन्दन हुये
मामूली-जन श्री मन हुये
ये चरण तेरे, नहीं तीरथ से कम
छू इन्हें चूमें मंजिल कदम
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
कटहल रु-आम,
सेवक खूब दे गुरु-नाम
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