- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 488
=हाईकू=
विशुद्धि जाती बढ़ती ही बढ़ती,
‘पाय’ अतिथी ।।स्थापना।।
दृग् जल लाया,
सुना, आपको दुःख मेंटना आया ।।जलं।।
चन्दन लाया,
सुना, आपको खुश्बू भेंटना आया ।।चन्दनं।।
अक्षत लाया,
सुना, आपको भक्त हरेक भाया ।।अक्षतं।।
कुसुम लाया,
सुना, आपको जख्म भरना आया ।।पुष्पं।।
नैवेद्य लाया,
सुना, आपको रिश्ता निभाना आया ।।नैवेद्यं।।
दीपक लाया,
सुना, आपको ज्योत जगाना आया ।।दीपं।।
सुगंध लाया,
सुना, आपको व्यथा सुनना आया ।।धूपं।।
श्रीफल लाया,
सुना, आपको दया वर्षाना आया ।।फलं।।
अरघ लाया,
सुना, आपको मुक्ति दिलाना आया ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
कोई लासानी,
‘इस दुनिया फानी’
तो गुरु वाणी
जयमाला
‘री पवन जा, .
जा ‘री पवन जा,
संदेशा जा भिजा
पाती तुझे लिख न पा रहे
आ के आँसू अखर विथला रहे
और आगे अब तू ही समझ जा
आ भी जा
किस बात की दे रहा सजा
‘री पवन जा,
जा ‘री पवन जा,
संदेशा जा भिजा
पाती तुझे लिख न पा रहे
बेहद याद आता है तू मुझे
बतला ही रहीं होंगी हिचकियाँ तुझे
और अँखियाँ न मेरी भिंजा
‘री पवन जा,
जा ‘री पवन जा,
संदेशा जा भिजा
पाती तुझे लिख न पा रहे
आशा से ही, है आसमाँ टिका
अब तक तू सिर्फ ख्वावों में ही दिखा
कभी खुली आँखों की भी तो प्यास बुझा
‘री पवन जा,
जा ‘री पवन जा,
संदेशा जा भिजा
पाती तुझे लिख न पा रहे
आ के आँसू अखर विथला रहे
और आगे अब तू ही समझ जा
आ भी जा
किस बात की दे रहा सजा
‘री पवन जा,
जा ‘री पवन जा,
संदेशा जा भिजा
पाती तुझे लिख न पा रहे
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
वक्त देना, न करना, कम हमें,
कसम तुम्हें
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