परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 455=हाईकू=
बना बिगड़ी,
आपने की मुझपे करुणा बड़ी ।।स्थापना।।पाद-मूल में, रख लो हमें,
आया ले दृग् जल मैं ।।जलं।।चरणन में, रख लो हमें,
आया ले चन्दन मैं ।।चन्दनं।।गुरु-कुल में, रख लो हमें,
आया ले तण्डुल मैं ।।अक्षतं।।रिश्ते-खून में, रख लो हमें,
आया ले प्रसून मैं ।।पुष्पं।।सती-सुधी मैं, रख लो हमें,
आया ले चरु घी मैं ।।नैवेद्यं।।कृपा गोद में, रख लो हमें,
आया ले संज्योत मैं ।।दीपं।।‘के नजर में, रख लो हमें,
आया ले अगर मैं ।।धूपं।।ओटाॅं SSचल में, रख लो हमें,
आया ले श्रीफल मैं ।।फलं।।अपने खेमे में, रख लो हमें,
आया ले अरघ मैं ।।अर्घं।।=हाईकू=
कुल मिला के,
माएँ ‘माने’ कड़वी दवा पिला केजयमाला
।। शत वन्दना ।।
श्रुत नन्दना ।
यत वन्दना ।।
सानन्दना ।
शत वन्दना ।।१।।मत द्वन्द ना ।
व्रत बन्धना ।।
सानन्दना ।
शत वन्दना ।।२।।छव मन्द ना ।
शिव स्यन्दना ।
सानन्दना ।
शत वन्दना ।।३।।मद गन्ध ना ।
बद सन्ध ना ।।
सानन्दना ।
शत वन्दना ।।४।।सम चन्द ना ।
रज चन्दना ।।
सानन्दना ।
शत वन्दना ।।५।।जग फन्द ना ।
गत क्रन्दना ।।
सानन्दना ।
शत वन्दना ।।६।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
ले बला लेते,
‘गुरु जी’
सिक्के खोटे भी चला लेते
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