loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 443

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 443

हाईकू

‘करुणा कर’, एक बार,
लो मेरी सुन पुकार ।।स्थापना।।

स्वीकार ये दृग्-जल स्वामी
लो बना विहीन खामी ।।जलं।।

स्वीकार गन्ध ये स्वामी,
लो बना सद्-गुण आसामी ।।चन्दनं।।

स्वीकार शाली धाँ ये स्वामी,
लो बना अन्तरयामी ।।अक्षतं।।

स्वीकार पुष्प यह स्वामी,
लो बना दिव्य निष्कामी ।।पुष्पं।।

स्वीकार चरु ये स्वामी,
लो बना स्व-गेह विश्रामी ।।नैवेद्यं।।

स्वीकार दीप यह स्वामी,
लो बना सुर’भी’ गामी ।।दीपं।।

स्वीकार धूप यह स्वामी,
लो बना अनूप-धामी ।।धूपं।।

स्वीकार फल यह स्वामी,
लो बना निश्छल नामी ।।फलं।।

स्वीकार अर्घ यह स्वामी,
लो बना भी अभिरामी ।।अर्घ्यं।।

हाईकू

सीप तो स्वाति
‘बिन्दु’
दें बना मोती, गुरु जो आती

जयमाला

रहने भी दो और तो
मेरी जाँ भी माँग लो
न करेंगे मना
जि गुरु जी बस हमें
लो अपना
लो अपना बना
और दूसरा है ही नहीं
जि गुरुजी, मेरा सपना

आपका दरबार चाहिये
बस हमें तो गुरु जी,
आपका रोजाना दीदार चाहिये
ये और वो, दोनों जहाँ भी माँग लो
रहने भी दो और तो,
मेरी जाँ भी माँग लो
न करेंगे मना
जि गुरु जी बस हमें
लो अपना
लो अपना बना
और दूसरा है ही नहीं
जि गुरुजी, मेरा सपना

आपकी छत्र छाँव चाहिये
बस हमें तो गुरु जी,
आपकी रोजाना रज-पाँव चाहिए
पुण्य भव-भव जमा मांग लो
रहने भी दो, और तो
मेरी जाँ भी माँग लो,
जि गुरु जी बस हमें
लो अपना
लो अपना बना
और दूसरा है ही नहीं
जि गुरुजी, मेरा सपना
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू

बिन माँगे जो इतना कुछ दिया,
तेरा शुक्रिया

 

 

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point