परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 398हाईकू
खा धूप,
‘वृक्ष’
खिलाते छाया,
तुम्हीं ने तो सिखाया ।।स्थापना।।भूल-भूलैया से निकाल दो,
जल ये स्वीकार लो ।।जलं।।मुक्ति नैय्या में बिठाल लो,
चन्दन ये स्वीकार लो ।।चन्दनं।।मैय्या-गैय्या सा संभाल लो,
अक्षत ये स्वीकार लो ।।अक्षतं।।कर तरैय्या सा निहाल दो,
पुष्प ये स्वीकार लो ।।पुष्पं।।कलि कन्हैया गोपाल ओ,
नैवेद्य ये स्वीकार लो ।।नैवेद्यं।।‘भी’ मैय्या पद प्रक्षाल दो,
दीप ये स्वीकार लो ।।दीपं।।भाल रुपैय्या सा विशाल दो,
धूप ये स्वीकार लो ।।धूपं।।आशीष छैय्या तत्काल दो,
श्रीफल ये स्वीकार लो ।।फलं।।ता थैय्या-थैय्या सुर-ताल दो,
अर्घ ये स्वीकार लो ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
जाँ गुरु पास रहे हरदम,
न भले ‘जिसम’जयमाला
कर कुहु कुहु
कहे कोयलियाँ
बोले पपीहा
कर पिहु-पिहुगुरु महाराज
घर तेरे आज
आयेंगे जरूर,
तेरे पुण्य पे है मुझे गुरूर
गुरु महाराज घर तेरे आज आयेंगे जरूरअम्बर से
भले पानी बरसे
गुरु महाराज
घर तेरे आज
आयेंगे जरूर,
तेरे पुण्य पे है मुझे गुरूर
गुरु महाराज घर तेरे आज आयेंगे जरूरकर कुहु कुहु
कहे कोयलियाँ
बोले पपीहा
कर पिहु-पिहु
गुरु महाराज
घर तेरे आज
आयेंगे जरूर,
तेरे पुण्य पे है मुझे गुरूर
गुरु महाराज घर तेरे आज आयेंगे जरूरहो उगलती,
भले आग धरती
गुरु महाराज
घर तेरे आज
आयेंगे जरूर,
तेरे पुण्य पे है मुझे गुरूर
गुरु महाराज घर तेरे आज आयेंगे जरूरकर कुहु कुहु
कहे कोयलियाँ
बोले पपीहा
कर पिहु-पिहु
गुरु महाराज
घर तेरे आज
आयेंगे जरूर,
तेरे पुण्य पे है मुझे गुरूर
गुरु महाराज घर तेरे आज आयेंगे जरूरहो ढाती कहर
भले ठण्डी लहर
गुरु महाराज
घर तेरे आज
आयेंगे जरूर,
तेरे पुण्य पे है मुझे गुरूर
गुरु महाराज घर तेरे आज आयेंगे जरूरकर कुहु कुहु
कहे कोयलियाँ
बोले पपीहा
कर पिहु-पिहु
गुरु महाराज
घर तेरे आज
आयेंगे जरूर,
तेरे पुण्य पे है मुझे गुरूर
गुरु महाराज घर तेरे आज आयेंगे जरूर
।। जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
छोड़ के तुझे,
मतलब न किसी और से मुझे
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