परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 373=हाईकू=
गुरुजी को न प्यारा,
बच्चा कौन,
न माँ का दुलारा ।।स्थापना।।रक्खे किसकी न खबर तू,
सुन ये जल भेंटूँ ।।जलं।।रक्खे सभी की खबर तू,
सुन ये चन्दन भेंटूँ ।।चन्दनं।।भेंटे पदवी अखर तू
सुन ये अक्षत भेंटूँ ।।अक्षतं।।लगने देता न नजर तू,
सुन ये पुष्प भेंटूँ ।।पुष्पं।।लगाये पार भौ-भँवर तू,
सुन ये चरु भेंटूँ ।।नैवेद्यं।।सिखाये ढाई अखर तू,
ये सुन के दीप भेंटूँ ।।दीपं।।फेरे पापों पे रबर तू,
ये सुन के धूप भेंटूँ ।।धूपं।।करता शिव-द्यु नजर तू,
सुन ये फल भेंटूँ ।।फलं।।रक्खे भक्तों की फिकर तू,
ये सुन के अर्घ भेंटूँ ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
न हो आने में गुरु को बाधा,
रक्खो ‘जी’ सीधा-साधाजयमाला
गद गद उर सुन के
अखर-अखर गुन के
प्रवचन तेरे
निहाल हुये, ये करण मेरे
ये नयन मेरे
करके दर्शन तेरे
निहाल हुये
अय ! विशाल हिये !चौराहे आके
पड़े अमिट पाके
निशां चरण तेरे
निहाल हुये, ये चरण मेरे
ये नयन मेरे
करके दर्शन तेरे
निहाल हुयेघर पर पड़गा के,
दृग जल ला ला के
पखार चरण तेरे !
निहाल हुये, ये सपन मेरे ।
ये नयन मेरे
करके दर्शन तेरे
निहाल हुयेसाँझ साँझ आ के
सुर ताल साथ गा-के
अमर गुण गण तेरे ।
निहाल हुये, ये वचन मेरे ।
ये नयन मेरे
करके दर्शन तेरे
निहाल हुये
अय ! विशाल हिये !।। जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
बनने खुदा,
होना पड़ता बस गुरु पे फिदा
Sharing is caring!