परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 350=हाईकू=
उनके भाग जागे,
होओ आ खड़े म्हारे भी आगे ।।स्थापना।।एक नजर तुमनें जो दी उठा,
मना ‘जल’सा ।। जलं।।भेंटूँ गंधा,
ये जो काली नज़र दी तुमने हटा ।।चन्दनं।।भेंटूँ धाँ,
कालीं ये बदलियाँ दी जो तुमनें छटा ।।अक्षतं।।भेंटूँ फुल्वा,
जो भारी हृदय किया तुमनें हल्का ।।पुष्पं।।भेंटूँ पकवाँ,
बर्सी जो आज तेरी मुझपे कृपा ।।नैवेद्यं।।भेंटू दीवा,
जो रिश्ता करीबी जुड़ तुमसे गया ।।दीपं।।भले हल्की सी, दे एक मुस्कान दी,
भेंटूँ सुगंधी ।।धूपं।।भेंटूँ भेले,
थे पड़गे आज तक स्वप्न अकेले ।।फलं।।अर्घ्य भेंटूँ,
‘कि बिखरी टुकाँ जाते जाते समेंटूँ ।।अर्घं।।=हाईकू=
होता हूबहू माफिक मक्खन,
श्री गुरु का मन।। जयमाला।।
चहारदीवारी में
न रहना अब, और हमेंऐ मेरे रब !
न रहना अब,
और हमें चहारदीवारी मेंलो बना अपने सा
खूबसूरत सपने सा
पानी नहीं बिलोने वाला
औरों के हित रोने वाला ।।किरदारे-गजब !
ऐ मेरे रब !
न रहना अब,
और हमें चहारदीवारी मेंजामा शरम पहिनने वाला
मरहम-मरहम बनने वाला
शहंशाह-ए-अदब
ऐ मेरे रब !
न रहना अब,
और हमें चहारदीवारी मेंनेह-बेवजह करने वाला
और दिल जगह रखने वाला
नित निरत करतब ।
ऐ मेरे रब !
न रहना अब,
और हमें चहारदीवारी में
।।जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
न हो संसार का अन्त,
लिये बिना गुरु से मन्त्र
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