परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 318=हाईकू=
मुझ हनुमत् श्री राम !
बना भी दो, बिगड़े काम ।।स्थापना।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, कं कलशियाँ ।।जलं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, गन्ध झारियाँ ।।चन्दनं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, धाँ पिटारियाँ ।।अक्षतं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, पुष्प कलियाँ ।।पुष्पं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, चरु थरियाँ ।।नैवेद्यं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, घी दीपालियाँ ।।दीपं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, धूप बढ़ियाँ ।।धूपं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, फल डलियाँ ।।फलं।।भरी झोलियाँ,
चढ़ाने उठाते ही, अर्घ थालियाँ ।।अर्घ्यं।।*हाईकू*
बच्चे के मन जैसे सच्चे,
है आप बहुत अच्छेजयमाला
जाने कहाँ खो गये
देखते ही बस, हम तेरे हो गयेढुलकाती नीर अँखिंयाँ ।
तर लख पर पीर अँखिंयाँ ।।
पा यहीं, ‘जहाँ दो’ गये ।
अश्के खुशी दृग् भिंजो गये ।
जाने कहाँ खो गये
देखते ही बस, हम तेरे हो गयेकरता ना तेरा-मेरा ।
बढ़ता सा हाथ-तेरा ।।
पा यहीं जहाँ-दो गये
अश्के खुशी दृग् भिंजो गये ।
जाने कहाँ खो गये
देखते ही बस, हम तेरे हो गयेउठाकर कांधे अपने ।
और के पूरे सपने ।।
पा यहीं, जहाँ दो गये
अश्के खुशी दृग् भिंजो गये ।
जाने कहाँ खो गये ।
जी गुरु जी
देखते ही बस, हम तिरे हो गये ।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।*हाईकू*
पिटारा भूल का मैं
कृपया कर दें, क्षमा हमें
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