परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 313
हाईकू
प्रार्थना-दिन-रैन
गुरुदेव !
आ-निवसो नैन ।।स्थापना।।
फेर निन्यानौ छकाऊँ,
कुछ कीजो, जल चढ़ाऊँ ।।जलं।।
आ अब आपे में जाऊँ,
कुछ कीजो, गंध चढ़ाऊँ ।।चन्दनं।।
सुनूँ, अब न सुनाऊँ,
कुछ कीजो, सुधाँ चढ़ाऊँ ।।अक्षतं।।
अपनों को न हराऊँ,
कुछ कीजो, पुष्प चढ़ाऊँ ।।पुष्पं।।
न ठगूँ , भले ठगाऊँ,
कुछ कीजो, चरु चढ़ाऊँ ।।नैवेद्यं।।
देख-दुखी, दृग् भिंजाऊँ,
कुछ कीजो, दीप चढ़ाऊँ ।।दीपं।।
उतर जमीं पे आऊँ,
कुछ कीजो, धूप चढ़ाऊँ ।।धूपं।।
पेलने-रेत न जाऊँ,
कुछ कीजो, फल चढ़ाऊँ ।।फलं।।
चाँद-सितारे छू आऊँ,
कुछ कीजो, अर्घ्य चढ़ाऊँ ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
उलझा जिया
सुलझा दिया
गुरुदेव शुक्रिया
जयमाला
दिले संगीत
ए मेरे मन के मीत
जोड़ ली मैंने, जो तुझसे प्रीत
ए मेरे मन के मीत
बदल ही गई, दुनिया मेरी ।
पड़ गई, जो रहमे-नजर तेरी ।।
अब क्या, सब ही तो मिल गया ।
सुकूने गुल, जो खिल गया ।।
दिले संगीत
ए मेरे मन के मीत
जोड़ ली मैंने, जो तुझसे प्रीत
ए मेरे मन के मीत
खुल ही गई लॉटरी मेरी ।
मिल गई जो मुस्कान इक तेरी ॥
अब क्या सब ही तो मिल गया ।
मातमे-महल जो हिल गया ।
दिले संगीत
ए मेरे मन के मीत
जोड़ ली मैंने, जो तुझसे प्रीत
ए मेरे मन के मीत
वो उड़ गई पतंग मेरी ।
मिल गई, जो पद-रज जरा तेरी ।
अब क्या सब ही तो मिल गया ।
हिमाला गहल पिघल गया ।
दिले संगीत
ए मेरे मन के मीत
जोड़ ली मैंने, जो तुझसे प्रीत
ए मेरे मन के मीत
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।
हाईकू
सिर्फेक दिली-तमन्ना
गुरु जी लो हमें अपना
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