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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 275

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 275

हाईकू

थाम लो,
‘हाथ’
कर बात-बात में शिव ग्राम दो ।।स्थापना।।

स्वीकारो, जल-दृग् लाया,
न छू सके , ‘कि काला साया ।।जलं।।

स्वीकारो, गन्ध ले आया,
सर, कर दो छत्रच्छाया ।।चन्दनं।।

स्वीकारो, सुधाँ ले आया,
कर दो ज्ञाँ-केवल काया ।।अक्षतं।।

स्वीकारो, पुष्प ले आया,
ले मदन विघटा माया ।।पुष्पं।।

स्वीकारो, चरु ले आया,
‘कि हो सके क्षुधा सफाया ।।नैवेद्यं।।

स्वीकारो, दीप ले आया,
अपना लो, भले पराया ।।दीपं।।

स्वीकारो, धूप ले आया,
पूरो स्वप्न मन समाया ।।धूपं।।

स्वीकारो, फल नौ लाया,
भक्ति डोर जोडने आया ।।फलं।।

स्वीकारो, अर्घ लेआया,
बन सकूँ द्यु-शिव राया ।।अर्घ्यं।।

हाईकू

‘मेरे भगवान् !
कर दो कल्याण
दे इक मुस्कान’

जयमाला

गुरुजी हमें तुम, बहुत याद आते हो ।
याद ही न आते हो, रह रह रुलाते हो ।
रह रह रुलाते हो ।।

जिधर देखता हूँ, दिखाई दे तेरा चेहरा ।
वही हास बिखरा, होंठो पे गहरा ।।
होंठो पे गहरा ।।

गुरुजी हमें तुम, बहुत याद आते हो ।
याद ही न आते हो, रह रह रुलाते हो ।
रह रह रुलाते हो ।।

सपनों में आते हो, एक तुम ही सिर्फ मेरे ।
अपनों में आते हो, एक तुम ही सिर्फ मेरे ।।
एक तुम ही सिर्फ मेरे ।।

गुरुजी हमें तुम, बहुत याद आते हो ।
याद ही न आते हो, रह रह रुलाते हो ।
रह रह रुलाते हो ।।

बिना आपके, अधूरे से सपने ।
कर दीजिये ना पूरे, बुला नजदीक अपने ।
बुला नजदीक अपने ।।

गुरुजी हमें तुम, बहुत याद आते हो ।
याद ही न आते हो, रह रह रुलाते हो ।
रह रह रुलाते हो ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू

ओ ! दीदी शान्ता स्वर्णा भ्रात !
लो बना अपने भाँत ।

 

 

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