परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक258
‘हाईकू’
‘एक डाल दो नजर,
अँधेरा ढा रहा कहर ।।स्थापना।।
जल स्वीकार कर लो,
‘भौ-जल नौ’ पार कर दो ।।जलं।।
गन्ध स्वीकार कर लो,
‘छू’ सर का भार कर दो ।।चन्दनं।।
सुधाँ स्वीकार कर लो,
भवद-ध्याँ खार कर दो ।।अक्षतं।।
पुष्प स्वीकार कर लो,
मार छार-छार कर दो ।।पुष्पं।।
चरु स्वीकार कर लो,
क्षुधा यम द्वार कर दो ।।नैवेद्यं।।
दीप स्वीकार कर लो,
‘ही’ ताप, ‘भी’ धार कर दो ।।दीपं।।
धूप स्वीकार कर लो,
नीर-क्षीर न्यार कर दो ।।धूपं।।
फल स्वीकार कर लो,
द्यु-शिव दृग् चार कर दो ।। फलं।।
अर्घ स्वीकार कर लो,
नार-मुक्ति ‘तार’ कर दो ।।अर्घ्यं।।
‘हाईकू’
‘आपका दिल है,
या माया ओ !
आया जो,
समाया वो’
—जयमाला—
इक सहारा आप का ।
कहर बरपा, कहर बरपा ।
कहर बरपा पाप का ।
इक सहारा आप का ।।
कहाती थी विधाता ।
बन गई नागिन माता ।।
दिल भी काँपा पाप का ।
इक सहारा आप का ।।
कहर बरपा, कहर बरपा,
कहर बरपा पाप का
इक सहारा आप का ॥
कहाती थी गो-माता ।
कत्ल घर गीत गाता ।।
हस्र, न अच्छा पाप का ।
इक सहारा आप का ।।
कहर बरपा, कहर बरपा ।
कहर बरपा पाप का ।
इक सहारा आप का ।
जमाना मुझे जमा ना ।
फसाना सिर्फ फसाना ।।
हकीकत साथ आप का ।
इक सहारा आप का ।।
कहर बरपा कहर बरपा,
कहर बरपा पाप का ।
इक सहारा आप का ।
॥ जयमाला पूर्णार्घं ॥
‘हाईकू’
‘क्या चाहूँ ?
तो मैं चाहूँ ,
करुणा थारी,
शरणा न्यारी’
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