परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 254
==हाईकू==
जब हँसे थे सब,
हँसाया तब,
शुक्रिया रब ! स्थापना।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये नीर-नयन ।।जलं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये मलय-धन ।।चन्दनं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये अछत-कण ।।अक्षतं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये श्रद्धा सुमन ।।पुष्पं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये घृत-व्यंजन ।। नैवेद्यं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये दीप-रतन ।।दीपं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये सुगन्ध कण ।।धूपं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये फल-चमन ।।फलं।।
आये शरण,
आप चरण,
लाये द्रव्य शगुन ।।अर्घं।।
==हाईकू==
‘था नयन में बैठाया,
खोजा, तुम्हें मन में पाया’
“जयमाला”
जय गुरुदेवा
जय गुरुदेवा
जय गुरुदेवा
जुबाँ हिन्दी जी ।
जुबाँ जिन्दगी ।।
बेजुबाँ खुशी ।
ए समां शशी ।।
नौ-भौ खेवा !
जय गुरु देवा,
जय गुरु देवा,
जय गुरु देवा ।
हत करघा धर ।
चल चरखा धर ॥
गोशाला धर ।
गो पाला अर ॥
मूरत सेवा !
जय गुरु देवा
जय गुरु देवा
जय गुरु देवा ।।
सिद्धोदय दा ।
सर्वोदयदा ।।
भाग्योदय दा ।
सदय हृदय वां ॥
शान्ति परेवा !
जय गुरु देवा
जय गुरु देवा
जय गुरु देवा ।
जयकारा गुरुदेव का,
जय जय गुरुदेव
॥ जयमाला पूर्णार्घं ॥
==हाईकू==
‘चाहिये नाम न,
ध्याऊँ शाम,
राम नाम, कामना’
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