परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 251
“हाईकू”
दो जिता अब,
हारे अब तलक बाजी,
ओ माँझी ।। स्थापना ।।
भेंटते जल झारी,
लो बना खुद सा दुख हारी ।।जलं।।
झारी चन्दन न्यारी,
लो बना खुद-सा गुणधारी ।।चन्दनं।।
थाली अक्षत न्यारी,
लो बना खुद सा मनहारी ।।अक्षतं।।
पिटारी पुष्प न्यारी,
लो बना खुद सा अविकारी ।।पुष्पं।।
थाली व्यञ्जन न्यारी,
लो बना खुद सा बलशाली ।। नैवेद्यं।।
दीपाली घृत वाली,
लो बना खुद सा श्रुत धारी ।।दीपं।।
निराली धूप प्यारी,
लो बना खुद ‘सा ही’ अविकारी ।।धूपं।।
पिटारी फल न्यारी,
लो बना खुद सा अनगारी ।।फलं।।
लिये अरघ थाली,
लो बना खुद सा ये सवाली ।।अर्घ्यं।।
==हाईकू==
जगत् रुलाये,
आप ही जिसे आँसु पोंछना आये ।
।।जयमाला।।
सम रब ए ! छोटे बाबा ।
हम सब के छोटे बाबा ।
कहाँ न दिखाये माया ।
रखना बनाये छाया ।।
सम रब ए ! छोटे बाबा ।
हम-सब के छोटे बाबा ।
मानव न आज मानव |
गौ-रव न आज गौरव ।
कहाँ न दिखाये माया ।
रखना बनाये छाया ।
सम रब ए ! छोटे बाबा ।
हम सब के छोटे बाबा ।।
लय विद्या-विद्यालय है ।
आज न सदय हृदय है ।
कहाँ न दिखाये माया ।
रखना बनाये छाया ।।
सम रब ए ! छोटे बाबा ।
हम सब के छोटे बाबा ।
उड़ सी गई हँसी है ।
बस बेवशी बसी है । ।
कहाँ न दिखाये माया |
रखना बनाये छाया ।।
सम रब ए ! छोटे बाबा ।
हम सब के छोटे बाबा ।
।। जयमाला पूर्णार्घ्यं ।।
==हाईकू==
भूलें किससे न होतीं,
दे दो माफी,
दृग् अब रोतीं ।।
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