परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रमांक 250
झट,
दो लगा तट
खिवैय्या !
बीच भँवर नैय्या ।। स्थापना।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
भींगे नयन लाया ।।जलं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
घट चन्दन लाया ।।चन्दनं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
शालि धाँ कण लाया ।।अक्षतं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
श्रद्धा सुमन लाया ।।पुष्पं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
भोग छप्पन लाया ।।नैवैद्यं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
दीप रतन लाया ।।दीपं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
धूप शगुन लाया ।।धूपं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
फल चमन लाया ।।फलं।।
शरण आया,
मेरे भगवन् !
द्रव्य विभिन लाया ।।अर्घ्यं।।
==हाईकू==
ठुकराना,
न जाने को ।
अपनाना आता तुमको ।।
।।जयमाला।।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।
नजर भर देख लेने दो ।
जिगर-धर नेक लेने दो ।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।।
ज्ञान गुरु सुत सम रस सानी ।
ज्ञान गुरु सुत सद् गुण खानी ।
ज्ञान गुरु सुत अर वर दानी ।।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।
नजर भर देख लेने दो ।
जिगर धर नेक लेने दो ।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।
शिष्य गुरु ज्ञान परम ज्ञानी ।
शिष्य गुरु ज्ञान परम ध्यानी ।
शिष्य गुरु ज्ञान स्वाभिमानी ।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।
नजर भर देख लेने दो ।
जिगर धर नेक लेने दो ।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।
ज्ञान गुरु सुत पातरि-पाणी ।
ज्ञान गुरु सुत धारक-पानी ।
ज्ञान गुरु सुत तारक-प्राणी ।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।
नजर भर देख लेने दो ।
जिगर धर नेक लेने दो ।
तिरा ये चेहरा नूरानी ।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
==हाइकू==
अयि दयालु ,
हुईं भूलें मानता हूँ,
दे भूला तू ।।
Sharing is caring!