परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 201
महक-बगिया वही ।
चहक चिड़िया वही ।।
पर न आज भाँत और बढ़िया कहीं ।
था क्योंकि-जुड़ा आतमा से तार न जिया ।।
गुरु आपने दी जिन्दगी सँवार शुक्रिया ।
बेशुमार शुक्रिया,
बेशुमार शुक्रिया ।। स्थापना ।।
अहिंसा मसीहा ।
शहंशा नृसीहा ।।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। जलं ।।
भा-प्रतिभा मण्डल ।
जुवाँ हिन्दी संबल ।।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। चंदनं ।।
गो नाडी फड़कन ।
थलि-प्रतिभा-धड़कन ।।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। अक्षतम् ।।
शाने हिन्दुस्ताँ ।
ज्ञाने गुलदस्ता ।।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। पुष्पं ।।
शाकाहार जिया ।
नशा बंदी मुखिया ।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। नैवेद्यं ।।
चल चरखा दीवा ।
करघा संजीवा ।।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। दीपं ।।
अनुशासन माँझी ।
प्रतिभा-प्रतिछा जी ।।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। धूपं ।।
सृजक मूकमाटी ।
झूठ, रसिक-लाठी ।।
छोटे बाबा जी
भेंटें बा बाजी ।। फलं ।।
पूरी मैत्री दा ।
सूरि-कहाँ इन सा ।।
सम इन्दु अहा ‘रे ।
भव सिन्धु किनारे ।।
छोटे बाबा जी ।
भेंटें बा बाजी ।। अर्घं ।।
==दोहा==
समझौता करते नहीं,
अलस भाव के साथ ।
गुरु विद्या वे दृढ़मना,
मेंटें शत्रु प्रमाद ।।
।। जयमाला ।।
।। गुरु धरती के देव कहाते ।।
सांझ सांस मिल आ-रति कीजे ।
सहजो पूर्ण मनोरथ कीजे ।।
वेद, पुराण, शास्त्र बतलाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।१।।
श्रद्धा सुमन समर्पित कीजे ।
इह-भव जश, पर-भव सुख लीजे ।।
विघन, उपद्रव, कष्ट मिटाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।२।।
चरणन दृग्-जल-धारा कीजे ।
खोल स्वर्ग शिव द्वारे लीजे ।।
धूप खड़े ले परहित छाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।३।।
अपलक शशि मुख दर्शन कीजे ।
अपने नेत्र सफल कर लीजे ।।
बिन कारण करुणा बरसाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।४।।
गुण कीर्तन मग कदम बढ़ाये ।
डग भर सुर-गुरु थम-थमियाये ।
चलो, मौन से जोड़ें नाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।५।।
।। जयमाला पूणार्घं ।।
==दोहा==
लिखा हृदय में वज्र से,
जिनने गुरु का नाम ।
साथ सुकूने रीतती,
उनकी जीवन शाम ।।
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