परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 158
हैं मासूमों की जान ।
है मामूली न ज्ञान ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान ।।स्थापना ।।
हथकरघा इनकी देन ।
पैगामे-अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान ।। जलं ।।
प्रतिभा-थलि इनकी देन ।
पैगामे-अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान ।। चन्दनं ।।
गौशाला इनकी देन ।
पैगामे-अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रतिकृति गुरु ज्ञान महान ।। अक्षतम् ।।
अनुशासन इनकी देन ।
पैगामे-अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान ।।पुष्पं ।।
भाग्योदय इनकी देन ।
पैगामे-अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान ।।नैवेद्यं ।।
सिद्धोदय इनकी देन ।
पैगामे अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान ।। दीपं ।।
सर्वोदय इनकी देन ।
पैगामे अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान।। धूपं ।।
पूर्णायु इनकी देन ।
पैगामे अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान।। फलं ।।
मूकमाटी इनकी देन ।
पैगामे अमनो चैन ।।
इक शाने-हिंदुस्तान ।
प्रति कृति गुरु ज्ञान महान ।।अर्घं ।।
==दोहा==
जिन्हें पलक-पल भी मिली,
श्री गुरुवर की छाँव ।
उन्हें परेशाँ कर सका,
पल भी कहाँ तनाव ॥
॥ जयमाला ॥
अपने सा बना लो ।
श्री गुरु अपना लो ।।
हम है सीधे-सादे ।
दुनिया स्वारथ साधे ।।
बिन्दु सिन्धु मिला लो ।
श्री गुरु अपना लो ।
अपने सा बना लो ।।
श्री गुरु अपना लो ।
हम है भोले-भाले ।
मग भूले, पग छाले ।।
ले गोदी जरा लो ।
श्री गुरु अपना लो ।।
अपने सा बना लो ।।
श्री गुरु अपना लो ।
हम बाला-गोपाला ।
न जमाने मुँह ताला ।।
नीर, क्षीर बना लो ।
श्री गुरु अपना लो ।।
अपने सा बना लो ।
श्री गुरु अपना लो ।।
हम है अनपढ़-अनगढ़ ।
बोले दुनिया सिर चढ़ ।।
कर हल्का उठा लो ।
श्री गुरु अपना लो ।
अपने सा बना लो ।।
श्री गुरु अपना लो ।
हम छोने-सलोने ।
ठेले दुनिया कोने ।।
दिल कोने बिठा लो ।
श्री गुरु अपना लो ।
अपने सा बना लो ।।
श्री गुरु अपना लो ।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
==दोहा==
एक विनय बस आपसे,
तेजो पुञ्ज ललाट ।
हो जीवन से अलविदा,
गफलत बंदर बाँट ।
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