परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 141
करने आया यजन ।
विद्या सागर श्रमण ॥
छोटे बाबा ,
भौ भँवर दो लगा पार नावा ।। स्थापना ।।
नीर लाये चरण ।
विद्या सागर श्रमण ।।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।।जलं ।।
चंदन लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।। चन्दनं ।।
अक्षत लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।। अक्षतम् ।।
पुष्प लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।।पुष्पं ।।
नेवज लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।। नैवेद्यं ।।
दीप लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।। दीपं ।।
धूप लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।।धूपं ।।
ऋतु फल लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।। फलं ।।
अर्घ लाये चरण ।
विद्यासागर श्रमण ।।
छोटे बाबा,
भौ भँवर दो लगा पर नावा ।। अर्घं ।।
==दोहा==
जिनके आशीर्वाद से,
बनते बिगड़े काम ।
श्री गुरु विद्या सिन्धु वे,
सविनय तिन्हें प्रणाम ॥
॥ जयमाला ॥
न सिर्फ कुछ-कुछ हो ।
न बस बहुत-कुछ हो ॥
मेरे भगवन् ! तुम मेरे सब कुछ हो।।
हो दिल की धड़कन ।
नाड़ी की फड़कन ।।
तुम हो तुम्हीं हो ।
अंतरंग दर्पण ।|
न सिर्फ कुछ-कुछ हो ।
न बस बहुत-कुछ हो ॥
मेरे भगवन् ! तुम मेरे सब कुछ हो।।
हो मेरे हम दम ।
संयम, नियम, यम ।।
तुम हो तुम्हीं हो ।
साँसों की सरगम ॥
न सिर्फ कुछ-कुछ हो ।
न बस बहुत-कुछ हो ॥
मेरे भगवन् ! तुम मेरे सब कुछ हो।।
तुम हो खिवैय्या ।
जीवन की नैय्या ।
तुम हो तुम्हीं हो ।
तरु ग्रीष्म छैय्या ॥
न सिर्फ कुछ-कुछ हो ।
न बस बहुत-कुछ हो ॥
मेरे भगवन् ! तुम मेरे सब कुछ हो।।
हो तुम विधाता ।
जनयिता माता ।।
तुम हो तुम्हीं हो ।
शिव सौख्य दाता ।।
न सिर्फ कुछ-कुछ हो ।
न बस बहुत-कुछ हो ॥
मेरे भगवन् ! तुम मेरे सब कुछ हो।।
हो तुम सहारा ।
भौ जल किनारा ।
तुम हो तुम्हीं हो ।
किस्मत-सितारा ।।
न सिर्फ कुछ-कुछ हो ।
न बस बहुत-कुछ हो ॥
मेरे भगवन् ! तुम मेरे सब कुछ हो।।
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।
==दोहा==
यही प्रार्थना आपसे,
गुरुवर आशुतोष ।
जीवन बगिया में खिलें,
कुछ प्रसून संतोष ॥
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