परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 130
चरणन आया ।
यजन सुहाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।। स्थापना ।।
चरणन आया ।
जल-कण लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो मुनि राया।। जलं ।।
चरणन आया ।
चन्दन लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो यति राया।। चन्दनं ।।
चरणन आया ।
अक्षत लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।।अक्षतम् ।।
चरणन आया ।
प्रसून लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो मुनि राया ।। पुष्पं ।।
चरणन आया ।
व्यञ्जन लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो यति राया।। नैवेद्यं ।।
चरणन आया ।
दीपक लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।। दीपं ।।
चरणन आया ।
सुगन्ध लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो मुनि राया।। धूपं ।।
चरणन आया ।
ऋतु फल लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो यति राया ।।फलं।।
चरणन आया ।
वसु द्रव लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।। अर्घं।।
==दोहा==
नभ छूते जिन-गृह शिखर,
पा जिनका सँग आज ।
हेत प्रबल सम्यक्तव वे,
भव जल-तरण जहाज ।।
॥ जयमाला ॥
।। मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।
देह पे विदेही हैं ।
निस्पृही सनेही हैं ।।
आप आप-से अपर ।
मुनि प्रवर-मुनि प्रवर-मुनि प्रवर ।।
यथा जात रूप जो ।
अहिंसा स्तूप ! भो ।।
कुन्द-कुन्द पद नुचर ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।
गुरु वचन समान माँ ।
श्वाँस-श्वाँस में क्षमा ।।
चलें अँगुलि गुरु पकड़ ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।
गीत मुक्ति वधु प्रणय ।
द्वार मोक्ष का विनय ।।
चलें बेत की डगर ।
मुनि प्रवर-मुनि प्रवर-मुनि प्रवर ।।
आर्ष-सूत्र से बँधे ।
रख रहे कदम सधे ।।
पल-पलक रहे निखर ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।
हित-मित परिमित वचन ।
भा-षनु-वीचि कथन ।।
अहा पारखी नजर ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।
।। जयमाला पूर्णार्घं।।
==दोहा==
यही प्रार्थना आपसे,
डग-डग सजग विशेष ।
यूँ हि मुस्कुराते रहें,
सारे देश प्रदेश।।
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