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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 124

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 124

बच्चों से दिल सच्चे ।
बच्चों के सँग बच्चे ।।
हर बच्चे को प्यारे ।
छोटे बाबा हमारे ।। स्थापना ।।

इनकी मुस्काँ मीठी ।
मिसरी गुड सारीखी ।।
जल के भर लाये घट ।
अब मुस्काँ भी दो झट ।। जलं ।।

इनकी वाणी मीठी ।
जिन-वाणी सारीखी ।।
लाये चन्दन के घट ।
क्रन्दन से कह दो हट ।। चन्दनं।।

इनकी आँखें नीलीं ।
पर-पीर-देख गीलीं |।
लाये हैं अक्षत हम ।
हर लो तम-मातम-गम ।।अक्षतम्।।

इनकी नासा नीकी ।
गुल चम्पक सारीखी ।।
आये ले फूल सभी ।
हो मुआफ भूल सभी ।।पुष्पं।।

इनका मुखड़ा नीका ।
शशि भी दिखता फीका ।।
पकवाँ लाये घी के ।
होने आये नीके ।।नैवेद्यं।।

इनके कन्धे नीके ।
उन्नत गिरि सारीखे ।।
लाये हैं दीपाली ।
मन जाये दीवाली ।।दीपं।।

इनकी दृष्टि नीकी ।
बिलकुल माँ सारीखी ।।
घट शोध-धूप लाये ।
बनने अनूप लाये ।।धूपं।।

इनका माथा नीका ।
दिखता सूरज फीका ।।
लाये फल हाथों में ।
आये कल हाथों में ।।फलं।।

इनकी गर्दन नीकी ।
छव शंख लगे फीकी ।।
भर भक्ति लिये अरघ ।
कर मुक्ति लगे सुरग ।।अर्घं।।

==दोहा==
चेतन कृतियों में रहा,
प्रतिभा-मण्डल नाम ।
शाने-भू-मण्डल अहो,
बारम्बार प्रणाम ।।

॥ जयमाला ॥
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

ग्राम सदलगा की गलियाँ ।
फूल यहीं बोलें कलियाँ ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

वृद्ध जवाँ नन्हें मुन्ने ।
कहें किताबों के पन्ने ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

राखी लें सखियाँ कुछ सँग ।
कहें यही होली के रँग ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

उजयाली निशि काली भी ।
कहती यही दिवाली भी ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

झर-झर झरतीं फुल झड़ियाँ ।
कर टिक-टिक कहतीं घड़ियाँ ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

होले राग-रागिनी से ।
बोले चाँद चाँदनी से ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

खेत यही हल-वा बाड़ी ।
कहती हथ-करघा साड़ी ।।
छोटे बाबा सबके हैं।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

सूड़ उठा गजराज यही ।
खून हटा वनराज कही ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

शिखर कहे जा यही गगन ।
खबर भिजाये यही पवन ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

मृग कस्तूरी जोरों से ।
कहे मयूरी मोरों से ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

अथक-अरुक बहती नदिया ।
फुदक फुदक कहती चिड़िया ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

ग्वाला गो श्यामा-गौरी ।
कहती चल-चरखा डोरी ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

पूरी मैत्री महिलायें ।
प्रतिभा थलि बाला गायें ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

अनुशासन हर युवा यही ।
कहे प्रशासन शासन भी ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

हस्ताक्षर वृष माहन के ।
कहें जिनालय पाहन के ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।

यही आसमाँ जमीं कहें ।
क्यों बिन बोले हमीं रहें ।।
छोटे बाबा सबके हैं ।
छोटे बाबा रब से हैं ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

==दोहा==
यही अरज छू आपके,
नयनन पाद सरोज ।
यूँ ही आ जाया करे,
शरद पूर्णिमा रोज ॥

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