परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 109
पड़ गई नजर क्या तुम्हारी ।
खुल गई लॉटरी हमारी ।।
तर गई कुटिया गरीबा ।
जाऊँ मैं आज बलिहारी ।।स्थापना।।
भर नीर, तीर हित आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।जलं।।
ले चन्दन बनने आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।चन्दनं।।
ले अक्षत पद हित आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये |।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।अक्षतम्।।
चुन सुमन सुमन हित आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।पुष्पं।।
ले व्यंजन, स्वर हित आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।नैवेद्यं।।
हित ज्ञान दीप ले आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।दीपं।।
ले सुगंध पाने आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।धूपं।।
पाने शिव फल ले आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।फलं।।
रख अरघ सुरग हित आये ।
आ चरणन आप चढ़ाये ।।
गुरु विद्या सिन्धु हमारे ।
घर अहो भाग्य जु-पधारे ।।अर्घं।।
==दोहा==
छोटे बाबा नाम से,
दुनिया में विख्यात ।
भक्तों के भगवान् वे,
नमन तिन्हें दिन-रात ।।
॥ जयमाला ॥
।। काम तिरा जग मेरा माने ।।
थी माटी पद दलिता-पतिता ।
कृपा तिरी बन घट ‘तरि-सरिता’ ।।
बिठा पृष्ठ जग लगी तिराने ।
काम तिरा जग मेरा माने ।।
पड़ी हुई थी बनी भार भू ।
कात मुझे लाया उबार तू ।।
लगी पतंग गगन बतियाने ।
काम तेरा जग मेरा माने ।।
मनहर कहाँ जन्मना काली ।
बिठा लिया कर करुणा डाली ।।
कुकुह-कुकुह जग लगी रिझाने ।
काम तिरा जग मेरा माने ।।
आई हाथ सिन्धु हा ! खाली ।
पड़ी दृष्टि तव मनी दिवाली ।।
लगे हाथ मोती कुछ दाने ।
काम तिरा जग मेरा माने ।।
निशाँ तिरे पैरों के मग में ।
छुऊँ मुकाम बढ़ाते पग में ।।
जग मेरे गा रहा तराने ।
काम तिरा जग मेरा माने ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
==दोहा==
साधारण मत मानिये,
गुरु का आशीर्वाद ।
स्वप्न नहीं,सत् मानिये,
पूरी हुई मुराद।।
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