उत्तम ब्रह्मचर्य
(१)
उत्तम ब्रह्मचर्य
मतलब
कछुआ भीतर
यदि आप पूछते ही है उससे
‘के क…छुआ भीतर
तब जबाब लाजवाब देता है वह
‘के कछु…आ भीतर
सच पढ़ा कखहरा
कछुआ
(२)
‘रे गा आमीन
न सिर्फ ग्रामीण
जो ब्रह्म को कह चले
विरहम
वि मतलब विशेष
रहम मतलब दया
चलो अक्षर पलटी खिलाते हैं
द…या
या…द रखने योग्ग
दुनिया में कोई हैं
तो वह है सिर्फ दया
(३)
ब्रह्मचर
मतलब ब्रह्म आचार
यदि हम पूछते ही हैं ? वह क्या हैं ?
हो अहिंसा एक
सत्य दो
अचौर्य तीन
अपरिग्रह चार
हाँ ! हाँ !! चार आंखें होतीं हैं पहले इनसे
ब्रह्मचारी बनते ही
यूं ही न बन जाते हैं हम जिन से
(४)
विष
विषयों ने पहले ही
लगा करके रक्खा है
चार सौ बीसी का
केश भी न ठोक पायेंगे हम
और हम से ज्यादा दूर रहा कहाँ यम
(५)
शब्द है विषय
चूँकि
बहुत है इसलिये विषयन
वि-मतलब विशेष
शयन मतलब निद्रा
यानि ‘कि गहरी निद्रा में
ले जाते है विषय हमें
और ‘जगत रहना’
कह रहा है
जहां वर्तमान में हमारा आत्मा रह रहा है
(६)
सपने अपने होने के लिए तैयार ही नहीं
बेकरार हैं
पर हम ऐश तो निकाले
हाँ ! हाँ !! ऐश मतलब ऐशो-आराम
यदि आप पूछते ही है क्या मतलब ?
तो Sapne
S निकाला नहीं
‘कि apne
अपने हो जाते हैं सपने
(७)
कस्तूर
कब दूर
पर दूर दूर जो खोजती है
और हिरणा अपने हाथों से अपनी
जिन्दगी ही खो देती है
बल्कि कुछ कुछ शब्द ही कर रहा था
ओ ! हिल ना
कब दूर
पास ही तो कस्तूर
(८)
नया बन्ध खतम
ब्रह्मचर्य का ‘ब’ कहता है
बाहर से मेरा संबंध खतम
और किसे नहीं मालूम
‘के कहते है समय मात्र में पहुंचे अष्टम भूम
तुम भीतर आओ
तुम भी तर आओ
(९)
चलिये कहते हैं
हम सब मिल करके
अर्हम् से सोहम् तक की यात्रा
अर का पर्यायवाची शब्द है ओ
ओ हम्
अर्थात्
सो हम्
मतलब सीधा सीधा है
‘के वह सो हम
(१०)
शब्द भोग खुदबखुद ही कहता है
मात्रा की अलटी पलटी के साथ
भो…ग
भ…गो
मुझे सर्प का फण भी कहते हैं
न मेरे पीछे लगो
बनती कोशिश मुझसे दूर भगो
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