loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आरती

आरती-अभिनन्दन नाथ

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

अभिनन्दन नाथ
आरती

अभिनन्दन, शत शत वन्दन ।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।।

कर आरति तुम हाथ धन ।
लख मूरति तुम आँख धन !
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।
अभिनन्दन, शत शत वन्दन ।।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।

परब गरभ आरति पहली ।
गगन रतन बरसा विरली ।।
दिखे मात लग पाँत सुपन ।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।।

परम जनम आरति दूजी ।
महलन किलकारी गूँजी ।।
किया मेर सौधरम न्हवन ।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।।

याग त्याग आरति तीजी ।
आँख आँख ‘भी’तर भीजी ॥
वस्त्र उतार, व्यस्त लुंचन ।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।।

भान ज्ञान आरति चौथी ।
प्रकट ज्ञान केवल ज्योती ॥
सार्थ सम-शरण सींह हिरण ।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।।

ढ़ोक मोख आरति एका ।
समय मात्र शिव अभिलेखा ।।
सहज-निराकुल सुखनुभवन ।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन
अभिनन्दन, शत शत वन्दन ।
भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।।

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point