==आरती==
छवि भगवन्त बलिहारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।
आओ दीप लेके हाथ ।
आ-रति करें मिलके साथ ।।
करुणा दया अवतारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।१।।
अपने पांव नापें गांव ।
तरु से धूप खा, दें छांव ।।
नदिया से परुपकारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।२।।
रखते पास ना घर-बार ।
कहते सेठिया सरकार ।।
पीछी कमण्डल धारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।३।।
रातरि शीत अभ्रवकाश ।
योग विरक्ष मूल चुमास ।।
आतप ग्रीष्म दोपारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।४।।
अपने हाथ लुंचन केश ।
विरहित राग, विगलित द्वेष ।।
महिमा अगम पविधारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।५।।
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