==आरती==
जय-जयकारा, जय-जयकारा ।
लिये स्वर्ण दीपक घृत वाला ।।
करूँ आरती जय गुरुदेवा ।
दुख निवारती श्री गुरु सेवा ।।
पहली आरति ग्रीष्म दुपारी ।
सूर्य आग बरसाता भारी ।।
चढ़ पहाड़ शिल तप्त निहारा ।
जय-जयकारा, जय-जयकारा ।
लिये स्वर्ण दीपक घृत वाला ।।
करूँ आरती जय गुरुदेवा ।
दुख निवारती श्री गुरु सेवा ।।
दूजी आरति वरषा वासा ।
बिजली देख मेघ काला सा ।।
वृक्ष तले आ आसन माड़ा ।
जय-जयकारा, जय-जयकारा ।
लिये स्वर्ण दीपक घृत वाला ।।
करूँ आरती जय गुरुदेवा ।
दुख निवारती श्री गुरु सेवा ।।
तीजी, आरति ठण्ड करारी ।
सायं साँय कर मारुत चाली ।।
लुभा रहा तब जिन्हें चुराहा ।
जय-जयकारा, जय-जयकारा ।
लिये स्वर्ण दीपक घृत वाला ।।
करूँ आरती जय गुरुदेवा ।
दुख निवारती श्री गुरु सेवा ।।
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