परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 9
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।स्थापना।।
ॐ ह्रीं श्री 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज अत्र अवतर अवतर संवोषट् इति आव्हानम्।
ॐ ह्रीं श्री 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: इति स्थापनम्।
ॐ ह्रीं श्री 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
पुष्पांजलि क्षिपामी…
श्रद्धा गहरी ।
भर जल गगरी ।।
लाया, तुम्हें रिझाने आया ।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।जलं।।
सुगंध विरली ।
चन्दन गगरी ।।
लाया, डूब साधने आया ।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।चन्दनं।।
छव रतनारी ।
धान पिटारी ।।
लाया, पुन बटोरने आया ।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।अक्षतं।।
मंजुल नाना ।
गुल बागाना ।।
लाया, मदन मर्दने आया ।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।पुष्पं।।
व्यन्जन घी के ।
स्वयं सरीखे ।।
लाया, क्षुधा मेंटने आया ।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।नेवैद्यं।।
गोघृत वाली ।
अबुझ दिवाली ।।
लाया, मोह मेंटने आया ।।
तेरा तुझे भेंटने आया।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।दीप॑।।
अर कस्तूरी ।
धूप कपूरी ।।
लाया कर्म खपाने आया ।।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।धूपं।।
विश्व अकेले ।
श्री फल भेले ।।
लाया, विमुक्ति पाने आया ।।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।फल॑।।
दिव-पुर नाता ।।
द्रव्य पराता ।।
लाया, ग्रन्थि खोलने आया ।।
तेरा तुझे भेंटने आया ।
ले जाना क्या,था क्या लाया ।।
गुरुवरम्, गुरुवरम् ।।
जय-जय, जय विद्या सागरम् ।।अर्घं।।
दोहा
करुणा के अवतार है,
विद्या के भण्डार |
शिष्य ज्ञान गुरु वे तिन्हें ,
वन्दन बारम्बार ॥
जयमाला
चाहे पान न चावल हल्दी ।
रूठ,मान जाती माँ जल्दी ।।
छोटे बाबा शिशु मैं तेरा ।
रखना ध्यान हमेशा मेरा ।।
मार कुदाल खा चली माटी ।
मेंटन हित भव दुख परिपाटी ।।
सिर आई क्या कुम्हार छाया ।
नाम लोक-मंगल में आया ।।
एक आसरा मुझको तेरा ।
रखना ध्यान हमेशा मेरा ।।
जे, वे तत्पर लोहा लेने ।
पकड़ एक, तत्पर दो देने ।।
मण पारस से क्या मिल आया ।
‘वो ना’ अब ‘सो…ना’ कहलाया ।।
एक आसरा मुझको तेरा ।
रखना ध्यान हमेशा मेरा ।।
कमल नयन नम देख न पाये ।
धीरे ढ़ले, जल्द रवि आये ।।
सहज निराकुल ! अन्तर्मामी ।
ऐसा-वैसा जैसा स्वामी ।।
नहीं और का हूँ बस तेरा ।
रखना ध्यान हमेशा मेरा ।।
एक आसरा मुझको तेरा ।।
“दोहा”
क्या कहना उसका जिसे,
गुरु की मिली पनाह ।
पाना था वो पा गया,
कोई रही न चाह ॥
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