परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 119 प्रद रोजगार हतकरघा । हर बोझ भार लें हर का ।। श्री गुरु वे तारण-हारे । सुलटा दें भाग-सितारे ।।स्थापना ।। प्रतिभा संस्थली प्रणेता । नेता-यति, अक्ष-विजेता ।। […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 119 प्रद रोजगार हतकरघा । हर बोझ भार लें हर का ।। श्री गुरु वे तारण-हारे । सुलटा दें भाग-सितारे ।।स्थापना ।। प्रतिभा संस्थली प्रणेता । नेता-यति, अक्ष-विजेता ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 118 गर पूछो, बतलाता । क्यों यहाँ चला आता ॥ गुरुवर तुमसे मेरा । है जन्मों का नाता ।।स्थापना।। गर पूछो, बतलाता । क्यों कर भर जल लाता ॥ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 117 दर तिरे सवाली आये हैं । पूजन की थाली लाये हैं ।। नहिं और प्यास लो बना दास । अभिलाष ये खाली लाये हैं ।। स्थापना।। दर तिरे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 116 आओ कर करुणा । संपूरो-सपना ।। छोटे-बाबा अर । जय विद्या-सागर ।।स्थापना ।। भर नीर चढ़ाता । दो धीर विधाता ।। अर गोशाला-धर । जय विद्या-सागर।।जलं ।। रस-गन्ध […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 115 मुझ सा दूजा न भागवाँ । मिल आप गये जो बागवाँ ।। थी एक यही बस आश ऽमा । मैं भी छू पाऊँ आसमाँ ।। स्थापना ।। प्रासुक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 114 माँ श्री मति विद्याधर । मल्लप्पा पीलु अपर ।। गिनी, तोता जग-जन के । गुरु ज्ञान विद्या-सागर।।स्थापना ।। उज्जवल जल भर गागर । पद-कमल आप पाकर ।। सादर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 113 लो लख इक नजर उठाकर । नीरज सूरज सा आकर ।। रत्नाकर, ज्ञान-दिवाकर । जय जय गुरु विद्या-सागर ।। स्थापना ।। भरकर जल निर्मल गागर । भेंटूँ समकित […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 112 प्रिय शिष्य ज्ञान सागर ओ ! तिय संध्य ध्यान-भा धर ओ ! इतनी सी करुणा कर दो । निशि-दीस बना जागर लो ।।स्थापना।। मेरी बदमाशी हर लो । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 111 गुरुदेव हमारे । ठाड़े तुम द्वारे ।। तुम भी कभी आओ । मेरे भी द्वारे ।। स्थापना ।। तर जल कर गागर । दर चल कर आकर ।। भेंटूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 110 विद्या गुरु राया । हित पूजन आया ।। एक नजर उठा दो । रज-चरण भिंटा दो ।। स्थापना ।। जल निर्मल लाया । आ चरण चढ़ाया ।। ओ […]
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