परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 129 माँ श्री मन्ती दृग्-तारे ।मल्लप्पा राज दुलारे ।।गुरुकुल गुरु ज्ञान सितारे ।दो सुलटा भाग हमारे ।। स्थापना ।। भर लाये जल से झारी ।दुविधा लो विहर हमारी ।।कर दो […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 129 माँ श्री मन्ती दृग्-तारे ।मल्लप्पा राज दुलारे ।।गुरुकुल गुरु ज्ञान सितारे ।दो सुलटा भाग हमारे ।। स्थापना ।। भर लाये जल से झारी ।दुविधा लो विहर हमारी ।।कर दो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 128 गुरु विद्या सिन्धु मिरे ।मेंटें भव-भव फेरे ।।दर खूब धूम फिर के ।आये अब द्वार तिरे ।।स्थापना।। ‘कर’ कर तर उदक घड़े ।तेरे दरबार खड़े ।।छल-गहल किनार करे ।वर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 127 शरद पूर्णिमा के ओ चन्दा ।माँ श्री मन्ती के ओ नन्दा ।।भक्त तुम्हारे आये द्वारे ।मेंटो जी भव-भव के फन्दा ।। स्थापना ।। पिता मलप्पा कुल उजियारे ।ज्ञान सिन्धु […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 126 छाया इनकी जिस पर पड़ जाती,निहाल वो हो जाता ।दें मुस्कुरा जरा सा बस,पत पतझड़ झड़ सावन आता ॥होंगें सन्त महन्त जगत के,मेरे तो भगवन्त यही ।श्री गुरुवर विद्या […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 125 आओ गुरुवर आओ ।आ दीप थमा जाओ ।।छाया अँधियारा है ।इक तिरा सहारा है ।। स्थापना ।। दृग् पानी रहा कहाँ ।बिक पानी रहा यहाँ ।। छाया अँधियारा है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 124 बच्चों से दिल सच्चे ।बच्चों के सँग बच्चे ।।हर बच्चे को प्यारे ।छोटे बाबा हमारे ।। स्थापना ।। इनकी मुस्काँ मीठी ।मिसरी गुड सारीखी ।।जल के भर लाये घट […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 123 पलक मुझे रख लो निगाह में ।खड़ा विछा के पलक राह में ।। फिर तो समझो खुली लॉटरी ।इच्छा पहली यही आखरी ।।स्थापना ।। जल से भर लाया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 122 गुरुवर मिरे, गुरुवर मिरे । गद-गद हिये, तर-दृग् किये ।। बालक तिरे, दर पर खड़े । गुरुवर मिरे, गुरुवर मिरे।। स्थापना।। कञ्चन घड़े, ले जल भरे । बालक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 121 मुझ शबरी के धन राम ओ । मुझ मीरा के घनश्याम ओ ।। कर मिरा जरा सा काम दो । पल अब-तब मुख तव नाम हो ।। स्थापना।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 120 सुनि सुनि मीरा अन्तर धुनि । सुनि सुनि शबरी मन्तर ध्वनि ।। गुरु ! हम भी रहे पुकार तुम्हें । भव-जल से दो कर पार हमें ।।स्थापना।। लेके […]
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